
डी एम एटा के अमर्यादित आचरण को लेकर सरकारी डाक्टर लामबंद..।
मुख्य मंत्री को ज्ञापन भेज कर त्यागपत्र देने का किया ऐलान
*जिला स्वास्थ समिति की बैठक में डिप्टी सीएमओ को दो घंटे तक खड़ा रखा तो कई चिकित्सकों को मुर्गा बनने के निर्देश देकर मीटिंग से बाहर निकाला ।
*सी एम ओ की मौन भूमिका पर पूरे विभाग में हो रही आलोचना
एटा। आपदा महामारी एवं स्वास्थ्यगत संकट में जो चिकित्सक सभी को भगवान नजर आता है उसी चिकित्सक के साथ मुर्गा बनने, नॉनसेंस,डफर कह कर पुलिस बल का सहारा लेकर बेइज्जत किया जाए तो उस कथित भगवान पर क्या बीती होगी। जी हां यह वाकया कल अवकाश के दौरान एटा कलकट्रेट में दोपहर जिला स्वास्थ समिति की बैठक में घटित हुआ जिसको लेकर एटा डीएम के चिकित्सकों के विरुद्ध अपमानक जनक व्यवहार को लेकर सरकारी डाक्टर बेहद आहत हैं। चिकित्सकों ने अपनी पीड़ा मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन कल रात ज्ञापन भेज कर साझा की है। ज्ञापन में कहा गया है जनपद एटा आज जलेसर उर्स का स्थानीय अवकाश होने के बाद जिलाधिकारी एटा द्वारा स्वास्थ समिति की बैठक ली गई,इस बैठक के दौरान जिलाधिकारी द्वारा अमर्यादित आचरण करते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया।इस बैठक में चिकित्सकों को डफर,गधे,नॉनसेंस जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए अपमानित किया गया। आगे ज्ञापन में कहा गया है शहरी आरोग्य मंदिर के चिकित्सकों को मुर्गा बनने के अव्यवहारिक निर्देश दिए गए,जब चिकित्सकों ने इन अमानवीय निर्देशों का पालन नहीं किया गया तब जिलाधिकारी के निर्देश पर स्टेनो एवं पुलिस बल द्वारा बल प्रयोग मीटिंग कक्ष के बाहर पुलिस निगरानी में बाहर खड़ा रखा
गया। चिकित्सकों की इस दुर्दशा पर पुलिस ठहाके लगा रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था हम लोग उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य कर्मचारी न होकर संज्ञेय अपराधी हैं ज्ञापन में कहा है कि इस दौरान उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी गौरव यादव को मुर्गा बनने का निर्देश देते हुए पूरी बैठक में खड़ा रखा गया। ज्ञापन में बताया गया है जिलाधिकारी एटा इतने पर भी नहीं रुके और आगे बोले ” मैं केवल वेतन रोक सकता हूँ यदि मुझे फांसी चढ़ाने का अधिकार होता तो मैं तुम सबको फांसी चढ़ा देता” चिकित्सकों का दोष इतना भर था कि वी एच एन डी में जनपद की रैंक 7 थी । ज्ञापन में कहा गया है एक पूर्व बैठक में एक चिकित्सक को अपमानित कर बाहर निकाला गया था। और उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर भी प्रदान नहीं किया। ज्ञापन में मुख्यमंत्री से कहा गया है जिलाधिकारी अपने पद का दुरपयोग कर रहे हैं।ऐसे में हम सभी मानसिक प्रताड़ना पीड़ित होकर पूर्ण मनोयोग से काम करने में असमर्थ पा रहे हैं।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि बैठक से पूर्व यूनिसेफ के डीएमसी ने कहा था आज डाक्टरों को देखना है मैने अपना फीडबैक जिलाधिकारी को पहले ही साझा कर दिया है। ज्ञापन के अंत में चिकित्सकों ने कहा है ऐसी स्थित में हम सब अपने आत्म सम्मान की रक्षा हेतु अपने पद से त्याग पत्र देने के लिए विवश हैं। ज्ञापन में डॉ गौरव यादव ने अपना त्यागपत्र मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्रेषित करने की पेशकश की है। ज्ञापन न्यायोचित कार्यवाही की आशा के साथ कल रात में मुख्य मंत्री पोर्टल पर अपलोड किया है।
जिस पर पंद्रह चिकित्सकों ने हस्ताक्षर किए हैं। इधर इस लामबंदी से जुड़े चिकित्सक कह रहे हैं आयुक्त अलीगढं से जल्द चिकित्सकों का प्रतिनिधि मंडल मिलेगा।
इधर इस वाकया को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी की भूमिका की पूरे विभाग में आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है मुख्य चिकित्सा अधिकारी पूरे घटनाक्रम के दौरान मुस्कराते हुए चुप्पी साधे रहे। बताया जा रहा देर शाम पांच बजे सी एम ओ ने अपने आवास पर बैठक बुलाई जहां इस अपमान पर खूब ठहाका लगा कर खिल्ली उड़ाई गई । अब देखना हाई बोल्टेज इस घटनाक्रम पर उत्तर प्रदेश शासन क्या एक्शन लेता है ?