*आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई बना गुंडई का अड्डा*
—आये दिन मरीजों या तीमारदारों के साथ डॉक्टर्स और स्टाफ करते हैं मारपीट
—2 दिन पूर्व मरीज के तीमारदारों की कथित तौर पर डॉक्टर्स ने कमरे में बंद कर लाठी डंडों से जमकर की मारपीट
—पीड़ित अपने घायल स्वजन का इलाज़ कराने पहुंचे थे सैफई पीजीआई
—पीड़ित जब डॉक्टर के पास पर्चा लेकर पहुंचे तो डॉक्टर ने पर्चा फेंककर इलाज़ के लिए किया मना, स्टाफ ने की अभद्रता
—जब पीड़ित इस सब का वीडियो बनाने लगे तो डॉक्टर और स्टाफ ने भड़क कर दोनों को कमरे में बंद कर लाठी डंडों और लात घूसों से जमकर पीटा
—डॉक्टर और स्टाफ ने मारपीट के साथ पीड़ित का मोबाइल फ़ोन और जेब में रखे 40 हजार रुपए भी छीन लिए
—आये दिन सैफई पीजीआई में मरीजों और तीमारदारों के साथ बदसलूकी के किस्से आते हैं सामने
—इससे पहले भी मरीज के साथ डॉक्टर द्वारा मारपीट का वीडियो हुआ था वायरल
—जानकारी के मुताबिक जब भी ऐसे कोई मामले सामने आते हैं जिसमें पीड़ित द्वारा थाने में शिकायत दी जाती है तो उल्टा पीजीआई का स्टाफ मिलकर पीड़ित पर ही स्टाफ की किसी महिला द्वारा झूठे आरोप लगवाकर समझौता करने का पीड़ित पर बनाते हैं दवाब
—इसके साथ ही जब पुलिस के पास पीजीआई की कोई शिकायत आती है और पुलिस वहां जांच करने पहुंचती है तो वहां के CCTV फुटेज नहीं निकलती है, क्योंकि पीजीआई का एक ही रोना होता है कि CCTV खराब है।
—बड़ा सवाल है कि आखिर जब भी कोई बड़ी घटना होती है तो उस घटनास्थल का CCTV खराब हो जाता है आखिर क्यों?
—दो दिन पूर्व पीजीआई में हुई तीमारदारों से मारपीट को लेकर केस दर्ज हो चुका है और बड़ी बात नहीं होगी कि एक दो दिन में ही पीजीआई के डॉक्टर्स और स्टाफ इसको लेकर ओपीडी में ताला डालकर धरने पर बैठ जाएं
—आखिर कब तक सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में इस तरह से मरीजों उनके तीमारदारों के साथ अभद्रता होती रहेगी क्योंकि सैफई पीजीआई प्रशासन में बैठे जिम्मेदारों ने तो अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रखा है। अब देखना होगा कि शासन और जिला प्रशासन किस तरह से पीजीआई के डॉक्टरों और स्टाफ की अराजकता से कैसे निबटता है या फिर?