आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता है योग – कविता अरोड़ा।

आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता है योग – कविता अरोड़ा।

ग्रीष्मकालीन शिविर में आज कुलानुशासक महिला यौन उत्पीड़न की अध्यक्ष एवं ग्रीष्मकालीन महिला योग शिविर की संयोजिका प्रोफेसर अमिता सिंह ने कहा कि आधुनिक जीवन में योग का बहुत ही महत्व हैै। व्यक्ति की शारीरिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए और शरीर का सर्वांगीण विकास करने में योग की बहुत अधिक आवश्यकता हैै। योग से शारीरिक और मानसिक शांति मिलती हैै। आसन से शरीर में दृढ़ता आती हैै। मुद्राओं के अभ्यास से स्थिरता आती हैै। प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में हल्का पन महसूस होता हैै और ध्यान करने से आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति होती हैं। योग को सही तरीके से करना और एक योग्य शिक्षक के नियंत्रण में करना चाहिए योग से शरीर मन और आत्मा तीनों का उपचार किया जाता हैै। इन्हीं से संपूर्ण शरीर बनता है अर्थात इन तीनों का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है योग के द्वारा बहुत से स्वास्थ्य लाभ को प्राप्त किया जा सकता हैै।
शिविर में आज की योगा ट्रेनर कविता अरोड़ा रही आप एक कुशल योगा प्रशिक्षिका के रूप में विभिन्न राज्यों के संस्थानों मैं अपनी सेवाएं दे चुकी है। कविता अरोड़ा yog4lyf.com की डायरेक्टर भी है। उन्होंने कहा कि योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास से शरीर मन विचार एवं कर्म आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता और मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य प्रदान करता है। यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम नहीं है बल्कि स्वयं के साथ विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। उन्होंने कहा कि योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन्न करता है और प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है। उन्होंने बताया कि योग कोई धर्म नहीं है यह जीने का एक तरीका है जिसका उद्देश्य स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग की ओर है। मनुष्य एक शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक प्राणी है योग तीनों के बीच संतुलन विकसित करने में मदद करता है। आज उन्होंने निम्नलिखित अभ्यास कराए- गायत्री प्रार्थना के साथ योग प्रारंभ हुआ। उसके पश्चात सूक्ष्म व्यायाम ताड़ासन तीरथ ताड़ासन सूर्य नमस्कार सूर्यभेदी प्राणायाम पश्चिमोत्तानासन चक्की चलासन पवनमुक्तासन अर्धमत्स्येंद्रासन उत्तानपादासन शलभासन भुजंगासन वितरित करनी आसन सर्वांगासन कपालभाति भस्त्रिका प्राणायाम अनुलोम विलोम प्राणायाम नाड़ी शोधन प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम के साथ ओम उच्चारण एवं शांति पाठ के साथ अभ्यास का समापन हुआ।
शिविर में आज प्रो.भारती रस्तोगी प्रो. हंसा जैन डॉ. उर्जास्विता सिंह डॉ. चंद्रमणि प्रीति शारदा आदि उपस्थित रही। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय परिसर एवं आसपास की अनेक महिलाएं एवं बच्चे प्रतिदिन शिविर में शामिल होकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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