
रक्षा और अंतरिक्ष में ऊंची छलांग*
भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी। इसके तहत छोटे और मंझोले उद्योगों तथा रक्षाक्षेत्र से जुड़ी स्वदेशी कंपनियों को मजबूत बनाना था। इस साल रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी युद्धपोत से लेकर हथियार और हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की ताकत बने हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष, परिवहन, और स्टार्टअप के क्षेत्र में भी स्वदेशी अभियान भारत को तरक्की की राह पर ले गया है।
अंतरिक्ष में भी बढ़ा भारत का कद
सेना के लिए खास
नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कहती है कि भारत 85 फीसदी हथियार आयात रूस से करता है। लड़ाकू विमानों और अन्य आधुनिक हथियारों की खरीदारी अमेरिका से करता है। लेकिन स्थितियां अब बदल रही हैं। रक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2020 में 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी। ये सभी उपकरण अब भारत में बन रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार 3700 रक्षा उत्पाद भारत में बन रहे हैं। 2024 तक इस सूची में और 351 सामान शामिल हो जाएंगे। स्वदेशी हथियारों और उपकरणों का निर्माण कर रही कंपनियां 2047 तक उत्पादन पांच लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाना चाहती हैं। 2022 में ये एक लाख करोड़ रुपये है। आत्मनिर्भर अभियान के तहत इस साल हासिल उपलब्धियों पर एक नजर…
आईएनएस विक्रांत सैनिकों की बड़ी टुकड़ी का ठिकाना
आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ पहला स्वदेशी युद्धपोत है। करीब 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ ये युद्धपोत 262 मीटर लंबा है। 45 हजार टन वजन के साथ पानी में चलने में सक्षम है। दो फुटबॉल स्टेडियम के बराबर ये जहाज देश के इतिहास में सबसे बड़ा युद्धपोत है। 18 मंजिल वाले इस जहाज में कुल 14 डेक और 2300 कंपार्टमेंट हैं जिसमें 1500 सैनिक एक साथ सवार हो सकते हैं। इस विशालकाय जहाज पर एकसाथ कुल 30 छोटे और बड़े लड़ाकू विमानों को भी रखा जा सकता है।
एलसीएच प्रचंड आसमान से मिसाइल दागने में सक्षम
स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड 21,500 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने के साथ मिसाइल दाग सकता है। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा तैयार हेलीकॉप्टर एमआई 25 और एमआई 35 की तुलना में अधिक भारी हथियार लेकर उड़ सकता है। ऐसे 65 हेलीकॉप्टर वायुसेना और 97 थल सेना को दिए जाएंगे। वायुसेना में चार शामिल हो चुके हैं।
एटीएजीएस 15 सेकंड में तीन राउंड फायरिंग
एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम 155 एमएम की तोप जैसी आधुनिक आर्टिलरी बंदूक है। 2013 से निर्माण चल रहा है और दो बार परीक्षण हो चुका है। 48 किलोमीटर तक मार करने वाले इस हथियार में 6875 एमएम का बैरल है। ऑटोमेटिक कमांड सिस्टम से लैस इस हथियार में नाइट विजन मोड भी है। ब्रस्ट मोड में 15 सेकंड में तीन राउंड फायर कर सकता है। इसे चलाने के लिए छह से आठ सैनिकों की जरूरत होगी।
आसमान में भी बढ़ेगी सैन्य ताकत
भारतीय वायुसेना भविष्य में स्वदेशी एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) एमके-1ए और एमके-2 वायुसेना और नौसेना की ताकत बनेंगे। वायुसेना कुल 114 स्वदेशी एयरक्राफ्ट अपने बेड़े में शामिल करेगी। एएमसीए 5.5 जनरेशन वाला ट्विन इंजन लड़ाकू विमान है जो दुर्गम और विपरीत हालात में ऑपरेशन को अंजाम देने में मदद करेगा।
*8 बाजार पर कब्जे का लक्ष्य*
दुनिया के आठ फीसदी अंतरिक्ष बाजार को अपने कब्जे में लेने की दिशा में भारत आगे बढ़ रहा है। अभी इसरो का दो फीसदी अंतरिक्ष बाजार पर कब्जा है। भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां उपग्रह और अंतरिक्ष से जुड़े सामान बनाने में जुटी हैं।
*मानवरहित हवाई वाहन*
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित स्वदेशी मीडियम एल्टीट्यूट लांग एंन्ड्युरेंस(एमएएलई) मानव रहित हवाई वाहन के अगस्त 2023 तक सभी परीक्षणों को पूरा करने की उम्मीद है। साथ ही रुस्तम मानव रहित वाहन को हथियार बनाने की अलग परियोजना पर भी काम चल रहा है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध को देखते हुए भारतीय सशस्त्रत्त् बलों को इसकी आवश्यकता है। सशस्त्रत्त् बल अपनी आवश्यकताओें के लिए इज़राइली सर्चर और हेरोन ड्रोन पर निर्भर हैं।
*विमानों में स्वदेशी ईंधन*
स्वदेशी विमान ईंधन एटीएफ के लिए भारत हजारों करोड़ रुपये दूसरे देशों को देता है। अब यह देश में ही बनेगा। इंडियन ऑयल ने हाल ही में स्वदेशी एटीएफ एवीगैस100 एलएल को लॉन्च किया है जो विमान और मानवरहित विमानों में इस्तेमाल हेागा।
*स्वॉर्म ड्रोन दुश्मन को धोखा देने में सक्षम*
झुंड के रूप में उड़ने वाले ये स्वदेशी ड्रोन आधुनिक हथियारों और कैमरों से लैस होते हैं। रिमोट और एआई के जरिए इसे उड़ाया जा सकता है। दुश्मन को धोखा देने में सक्षम हैं।