
पत्रकारिता धर्म का भलि-भांति निर्वाह होना चाहिए”अनिल मेहता” लाला लाजपतराय, गणेश शंकर विद्यार्थी ये वो चन्द नाम हैं जिन्होंने स्वस्थ पत्रकारिता के नाम पर अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। परन्तु वर्तमान पत्रकारिता के बारे में कुछ लिखते या कहते हुए ग्लानि होती है। वर्तमान में पत्रकारिता का स्तर इतना गिर गया है कि पत्रकारिता के बारे में कुछ लिखना या कहना बेकार है। वर्तमान में पत्रकारिता पुलिसकर्मियों पर केवल दबाव बनाती नज़र आती है। कुछ लोग तो प्रेस का पहचान कार्ड सिर्फ़ इसलिए बनवाते हैं ताकि वो पुलिसकर्मियों पर रोब गांठ सकें , एक सज्जन तो सिर्फ इसलिए प्रेस का पहचान पत्र बनवाने के इच्छुक थे ताकि वह अवैध देशी शराब का धन्धा कर सकें उन्होंने काफी बड़ी धनराशि की लालच भी सम्पादक को दी परन्तु वो तो भला हो समाचारपत्र के सम्पादक का जिसने नम्रतापूर्वक उन महोदय को मना कर दिया , वर्तमान में पत्रकारिता का स्तर इसलिए गिर गया कि तमाम ऐरे,गैरे जिनको पत्रकारिता की एबीसीडी भी नहीं आती पत्रकारिता में आ गये इसमें कुछ गलती उन सम्पादकों की भी है जिन्होंने ऐसे लोगों का समाचारपत्र का पहचान पत्र जारी कर दिया पत्रकारिता एक तरह की समाज सेवा है पत्रकारिता का मर्म समझ कर तब ही इस क्षेत्र में आना चाहिए ताकि पत्रकारिता धर्म का भलि- भांति निर्वाह हो सके। तमाम लोग भयानक अभाव उठा कर भी स्वस्थ पत्रकारिता में लगे हुये हैं।ऐसे पत्रकारों को नमन है। अनिल मेहता