शहादत को न भूलेंगे हम: राखी भी न बांध पाया तीन बहनों का इकलौता भाई, वीडियो कॉल पर कही थी ये बात

शहादत को न भूलेंगे हम: राखी भी न बांध पाया तीन बहनों का इकलौता भाई, वीडियो कॉल पर कही थी ये बात

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आर्मी कैंप के समीप आतंकवादी हमले में सेना के जवान व हरियाणा के हांसी के आदर्श नगर मोहल्ला निवासी जयबीर मलिक के बेटे निशांत मलिक शहीद हो गए हैं। तीन बहनों के इकलौते भाई निशांत ने बुधवार रात बहनों ने वीडियो कॉल कर बात की थी। बहनों ने उन्हें गुरुवार की सुबह राखी बांध लेने को कहा था। सुबह आर्मी हेडक्वार्टर से निशांत के शहीद होने की सूचना मिली। शुक्रवार रात तक उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा। पिता जयबीर सिंह रिटायर्ड हवलदार हैं और वे भी कारगिल युद्ध में लड़ चुके हैं।

पिता जयबीर सिंह ने बताया कि निशांत 11 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। उनकी ड्यूटी राजौरी के नौसेरा सेक्टर में थी। आर्मी को जानकारी मिली कि आतंकवादी पास के गांव में हैं। आर्मी के जवान मौके पर पहुंचे तो आतंकवादियों ने हमला कर दिया। फायरिंग में दो आतंकी मारे गए। जबकि आतंकवादी हमले में सेना के चार जवान शहीद हो गए, जिनमें निशांत मलिक भी थे। जयबीर सिंह मूलरूप से हिसार जिले के गांव ढंढेरी के रहने वाले हैं।
वह वर्ष 1998 में वह शहर में आकर बसे थे। अब वह आदर्श नगर में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। निशांत मलिक की तीन बहनें हैं, जिनमें से किरण व ज्योति विवाहित हैं, जबकि नीरज अविवाहित है। नीरज का रिश्ता पक्का चुका है और दिसंबर में उसकी शादी होनी है। बहन को कार में विदा करने के लिए बीते दिनों निशांत ने बुकिंग भी कराई थी। निशांत खुद अविवाहित था।

कारगिल युद्ध लड़ चुके पिता बोले- गर्व है कि बेटा देश के लिए शहीद हुआ
निशांत के पिता जयबीर सिंह आर्मी से रिटायर्ड हैं। 18 वर्ष की ड्यूटी के बाद वह रिटायर हुए थे। कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें दाहिने बाजू पर गोली लगी थी। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आर्मी कैंप में एक समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें युद्ध के दौरान जख्मी हुए जवानों को सम्मानित किया गया था। वह इस कार्यक्रम में सम्मानित होकर लौटे तो सूचना मिली। जयवीर ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ।

सेना में अफसर पद पर हो गया था चयन
निशांत ने फरवरी में ही सेना में अधिकारी बनने के लिए परीक्षा दी थी और सफल भी हो गया था। स्नातक की डिग्री न होने के कारण अभी उसे तैनाती नहीं मिली थी। इसलिए निशांत ने स्नातक की परीक्षा के लिए जून में छुट्टी ली थी। 18 जुलाई को ड्यूटी पर लौटे थे। पहले 30 दिन के लिए और बाद में 15 दिनों की छुट्टियां बढ़वाई थीं। जयवीर सिंह ने बताया कि निशांत को बचपन से ही आर्मी में भर्ती होने की इच्छा थी। वह पढ़ाई में भी होशियार था। ढाई वर्ष पहले दिल्ली में हुई भर्ती में निशांत का चयन हुआ था

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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