युवाओं को तबाह करता आईपीएल सट्टा।
आज के समय अधिकांश युवा शॉर्टकट से पैसा कमाना चाहते है और आईपीएल सट्टा अभी ऐसे युवाओं का सबसे पसंदीदा शॉर्टकट बना हुआ है।

सट्टेबाज ऐसे युवाओं की तलाश में रहते हैं जो अच्छे घरों से होते हैं और जिन्हें अच्छा जेब खर्च मिलता है।
इसके लिए वह शहर के अच्छे स्कूलों में पढ़ने वाले किसी छात्र को अपना फंटर बनाते हैं और उसे अप्रत्यक्ष रूप से सट्टे में फायदा पहुंचाते हैं जिससे कि वह अधिक से अधिक छात्रों को सट्टेबाजों से जोड़ सकें।
क्या है आईपीएल सट्टा?
क्रिकेट का सीधा प्रसारण देख कर दांव लगाना ही आईपीएल सट्टा है।
मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति आईपीएल में सट्टा लगाता है तो उसे फंटर के नाम से पुकारा जाता है और सट्टेबाज को बुकि के नाम से।
जब फंटर किसी टीम पर सट्टा लगाते हैं तव वो दो कोड इस्तेमाल करते है खाया और लगाया
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति अपनी मनपसंद आईपीएल टीम पर बैटिंग लगाता है तो उसे लगे दाव कहते है।
वहीं अगर दूसरे आईपीएल टीम पर सट्टा लगाता है तो उसे खाना खाया कहते है।
सट्टे के इस अवैध खेल में सभी बातें कोडवर्ड में होती हैं
सबसे महत्वपूर्ण कोड वर्ड है डिब्बा
डिब्बा एक प्रकार का मोबाइल कनेक्शन है जो प्रमुख सट्टेबाज (बुकी) को फंटर से जोड़ कर रखता है।
कंही देर न हो जाये
विद्यालयों में जाने वाले छात्रो के अभिभावक अपने बच्चों पर नजर रखें कहीं उनके द्वारा दिया जा रहा बेइंतहा जेब खर्च को उनका बच्चा अधिक पैसों की चाहत में सट्टेबाजी मैं तो निवेश नहीं कर रहा है।
जुआ चाहे कैसा भी हो, यह सर्वविदित है इसमें व्यक्ति जीता कम और हारता ज्यादा है और हारी हुई रकम को प्राप्त करने के लिए वह पहले कर्ज की तरफ बढ़ता है और फिर उसके कदम अपराध की तरफ बढ़ने लगते हैं।
जनपद एटा में भी आईपीएल सट्टा पिछले कई सालों से लगातार हो रहा है और अपने पैर जनपद में पसार रहा है इससे पहले कि यह अपनी जड़ें जनपद में मजबूत करें प्रशासन को इस पर सख्त कदम उठाकर इसे जनपद में बंद कराना चाहिए।
आखिर क्यों नहीं करती पुलिस कार्यवाही?
अब सवाल उठता है जब जनपद में इतने दिनों से आईपीएल सट्टेबाजी हो रही है तो आखिर पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही??
इसका प्रमुख कारण है आईपीएल सट्टे का पूरी तरह से ऑनलाइन होना।
सट्टा खेलने वाला मैन सट्टेबाज से फोन पर संपर्क करता है,सट्टेबाज सट्टा खेलने वालों से अपने अकाउंट में ऑनलाइन पेमेंट का ट्रांजैक्शन कराते हैं,फिर सट्टा खेलने वाला टीवी पर मैच का सीधा प्रसारण देखकर सट्टेबाज के साथ सट्टा खेलते हैं,सट्टा खेलने वाला यदि सट्टा जीतता है तो उसका पेमेंट भी ऑन लाइन होता है।
इसमें पे फोन पे-टीएम और व्हाट्सएप जैसी ऐप का दुरुपयोग होता है।
पूरा खेल ऑनलाइन और इन ऐप के जरिए ही होता है इसलिए पुलिस को इस नेटवर्क की जानकारी नहीं हो पाती है।
विश्वसनीय मीडिया सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है जनपद के प्रमुख राजनेताओं के गुर्गे ऐसे सट्टेबाजों को संरक्षण दिए हुए हैं।
जनपद मे भागीपुर, पीपल अड्डा, हाजीपुरा, मिरहची, मारहरा,पिलुआ क्षेत्रों में इन सट्टेबाजों के सक्रिय गेंग काम कर रहे हैं।