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यदि अनुपस्थिति जानबूझकर नहीं है तो अभियुक्त को गैर-जमानती वारंट जारी करने के बाद जमानत दी जा सकती है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

????आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक आरोपी को जमानत दे दी, जिसके खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था क्योंकि वह सम्मन जारी होने पर अनुपस्थित था।
⚫उच्च न्यायालय ने बाद में स्वीकार किया कि आरोपी इस बात से अनजान था कि उसके खिलाफ समन जारी किया गया था और उसने अपना आवास भी बदल लिया था।
????इस मामले में, याचिकाकर्ता पर 498A और 307 IPC का आरोप है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उसे जमानत दे दी गई। बाद में निचली अदालत ने समन जारी होने के बाद आरोपियों को पेश होने को कहा।
????जब आरोपी सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुआ तो उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। आरोपी के खिलाफ जारी वारंट को भी निष्पादित नहीं किया जा सका क्योंकि आरोपी पते पर नहीं मिला था और धारा 82 सीआरपीसी की कार्यवाही की गयी थी।
????कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गिरफ्तारी के समय याचिकाकर्ता अनंतपुर में रह रहा था और उसके बाद वह नेल्लोर चला गया। उसके बाद, अदालत द्वारा जारी किए गए समन की तामील नहीं की गई, उसे तारीखों की जानकारी नहीं थी और वह अदालत में पेश नहीं हुआ।
⭕दूसरी ओर, एपीपी ने प्रस्तुत किया कि यदि आरोपी ने अपना आवास बदल लिया है, तो उसे अदालत और पुलिस को सूचित करना चाहिए था।
⏹️शुरुआत में, अदालत ने कहा कि यह विवादित नहीं है कि याचिकाकर्ता को उसके आवास पर समन नहीं दिया गया था और इसलिए उसकी अनुपस्थिति को जानबूझकर नहीं माना जा सकता है।
⏺️अदालत ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि आरोपी को एक अंडरटेकिंग दी गई थी जिसमें कहा गया था कि निर्देश मिलने पर वह अदालत में पेश होगा।
तदनुसार, अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया और आरोपी को जमानत दे दी।
शीर्षक: डोमेती चक्रधर बनाम आंध्र प्रदेश राज्य