एटा में स्वास्थ्य विभाग की ‘आशा’ योजना का बजट भृष्टाचार के मकड़जाल में..!

एटा में स्वास्थ्य विभाग की ‘आशा’ योजना का बजट भृष्टाचार के मकड़जाल में..!

*7 करोड़ से अधिक की धनराशि जारी पर ब्लॉक स्तरीय ‘पाइप लाइन’ में ब्लाक

*डीसीपीएम/डीपीएम यूनिट के संविदा कर्मी सीएचसी/पीएचसी पर पहले करते हैं बसूली

एटा। सरकारी स्वास्थ योजनाओं को धरातल पर लाने के लिये सरकार ने लिंक वर्कर के रूप में ‘आशा’ योजना संचालित की इनके माध्यम विभाग की डीसीपीएम यूनिट की सहायता से तैयार किये गये यह आंकड़े डीएम एटा के समक्ष रखे गये उसके अनुसार जिले भर की 1529 आशाओं को चालू वित्तीय वर्ष में जनवरी 2022 तक 70248050(सात करोड़ 2लाख 48 हजार 50) की धनराशि का बजट जिले 8 सेंटरों पर आवंटन किया गया है। बजट में विभाग के 9 कार्यक्रमो का आशा इंसेटिव है जो हर ब्लॉक को अलग अलग दिया गया है। अलीगंज में यह 13166250, अवागढ़ में6795150 जैथरा में 9813975 जलेसर में 6815350 मारहरा में 6841975 निधौली कलां में7866300 सकीट में9479250 शीतलपुर में 9469800 का बजट आशाओं के लिये दिया गया है। 7 करोड़ से अधिक की धनराशि विभिन्न इंसेटिव/सहायता के नाम पर दी गई है। इन आकड़ो की नजर से देखा जाए तो जिले की हर आशा के खाते में 46 हजार रुपये से अधिक रुपया पहुंच जाना चाहिये।परन्तु इतनी बड़ी रक़म ब्लॉक लेविल पर संचालित प्रबंधन ईकाई के संविदा कर्मी वीपीएम/वीसीपीएम/समन्धित ब्लॉक के एमओआईसी/जिला स्तरीय प्रबंधन इकाई के भृष्टाचार परक कुप्रबंधन के कारण ब्लॉक लेविल की पाइप लाइन ब्लॉक कर दी गई है। विभिन्न केंद्रों पर डिजिटल यूनिट के संविदा कर्मियों के यहां आकर अपने भुगतान के लिये गिड़गिड़ाती आशा कर्मियों की टोलियां स्वतः ही इस भृष्टाचार चुगली करती हैं। उधर बड़े विभागीय और प्रशासनिक अफसरों को लगता है सब सही हो रहा है जबकि बताया जा रहा आशा कर्मी अपने भुगतान के लिये पहले पेशगी 40 प्रतिशत के हिसाब से देती हैं तब भुगतान की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। वह भी मेडिकल अफसर एवं वीसीपीएम/वीपीएम की कृपा से यही कारण है आशा कर्मियों के खाते में रकम नही पहुंच रही। उधर अनेक केंद्रों पर मनमर्जी से भुगतान के मामले भी सामने आए बताया गया है अलीगंज में नियत आशाओं से अधिक का भुगतान दर्शाया गया परन्तु संज्ञान में आने के बाद अनदेखी कर दी गई। इस हाथ दे उस हाथ ले की खुली परिपाटी ने आशाओं के काम की क्वालिटी गिरा दी है। यदि यह मानक के अनुसार चलता तो आशा कर्मी शानदार अंदाज़ में मालामाल हो चुकी होती और कामकाज में सुधार होता। इस काम की देखरेख के लिये अनेक अधिकारी अनुश्रवण के लिये लगाए गए है परन्तु आशाओं की धनराशि के निर्गमन पर स्थानीय स्तर के ब्लॉकेज नही दिखते..?
कहा जा रहा है आंकड़ो की बाजीगरी का खेल खेल रहे इस कार्य के संचालक जिला कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर सहित प्रबंधन इकाई के संविदा अफ्रसर हैं जिन्होंने इस यूनिट के ब्लॉक स्तरीय बीसीपीएम बैठा रखे है। जो आशाओं के कार्य का लेखा जोखा रख कर भुगतान निर्गत करते है। परन्तु सूत्र बताते हैं डीसीपीएम के अधीनस्थ बीसीपीएम असल मे अवैध बसूली के माध्यम बन चुके है। जो बसूली के हिस्से सम्बंधित अफसरों को देते है। इसी लिये आशाओं का यह तंत्र सही ढंग से क्रियाशील नही हो पा रहा।
उत्तर प्रदेश स्वास्थ मिशन के तहत जिला प्रबंधन इकाई के इन संविदा अफसरों इनके मातहतों ने पिछले 10 वर्ष से एटा में तैनात रहते हुए अकूत सम्पत्ति अर्जित की है। सूत्रों का दावा है यदि इन 10 वर्षों के दौरान अर्जित सम्पत्ति की जांच कराई जाए तो इनकी असलियत स्वतः ही सामने आ जाएंगी।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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