
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस अंग्रेजी में क्यों?
कल देश के पाँच राज्यों पंजाब,उत्तराखण्ड,उत्तर प्रदेश,गोवा व मणिपुर के विधानसभा चुनावों की सूचना देने के लिए भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया इन राज्यों में जैसे मणिपुर में मणिपुरी पंजाब में पंजाबी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में हिंदी और गोवा में मराठी भाषा बोली जाती है ।और यहां की अधिकांश जनता अपने-अपने प्रदेश की भाषाओं को अच्छी तरह से बोलती है और समझती है।अंग्रेजी की जानकारी इन प्रदेशों में आम लोगों को बहुत कम है। लेकिन हमारे देश के मुख्य चुनाव आयोग सुशील चंद्रा जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल अंग्रेजी में अपनी बात रखी हिंदी में भी कभी कभार एक दो लाइन बोलीं। जब प्रेस के अंत में हिंदी चैनलों के कुछ पत्रकारों ने उनसे हिंदी में सवाल पूछे तो उनके जवाब भी उन्होंने हिंदी की बजाए अंग्रेजी में ही अधिकांश रूप से दिए। मुझे लगता है कि भारतीय लोकतंत्र में चुनाव आयुक्त को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए , जिसे उन राज्यों की अनपढ़ से अनपढ़ जनता भी चुनाव आयोग की सूचना को समझ सके और उनका निहितार्थ समझ सके। मेरी चुनाव आयुक्त से अपील है कि वह अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस जब भी करें पहले हिंदी में करें फिर उसके बाद अति आवश्यक हो तो अंग्रेजी में भी अपनी बात रख सकते हैं । किसी भी लोकतंत्र में यह बहुत जरूरी होता है कि वहां की जनता चुनावों के बारे में जो सूचनाएं या जानकारियां दी जा रही हैं वह टी वी चैनलों को देखकर समझ सके ।
धन्यवाद।।
नोट- मैंने यह टिप्पणी चुनाव आयोग की बुराई के लिए नहीं लिखी है।केवल मेरा सुझाव है।यदि इन शब्दों से चुनाव आयोग को कोई परेशानी हो तो मैं ये शब्द वापस लेने के लिए तैयार बैठा हूँ।।