गफलत में न रहे भाजपा, पार्टी और प्रत्याशी दोनों को देखकर वोट मिलेगा
-चुनाव में प्रत्याशी नहीं, पार्टी को देखें: अमित शाह

उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आते देख भाजपा नेता अब पार्टी के नाम पर वोट मांगना शुरू कर रहे हैं। कारण साफ है, पूरे पांच साल निकल गये और भाजपा के विधायकों ने जनता के कार्यों को कोई तबज्जो नहीं दी, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं की जमकर उपेक्षा करते रहे। कार्यकर्ताओं की नाराजगी की खबरें पार्टी आलाकमान तक पहुंच रही हैं। इसी सिलसिले में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार के बरेली स्थित कार्यालय भारत सेवा ट्रस्ट पर पहुंचकर कहा कि चुनाव में प्रत्याशी नहीं, पार्टी को देखें। सभी कार्यकर्ता और पदाधिकारी पूरे मन से चुनाव में जुट जाएं। पिछले विधानसभा चुनाव में जनता कुछ समाजवादियों की गुण्डा वाली कार्यशैली से परेशान होकर बदलाव की इच्छुक थी। सपा सरकार से भी उतनी ही शिकायत थी जितनी अब आपकी सरकार से है। जो सरकार सत्ता में रहती है उसके दोषों के आधार पर वोट कम मिलते हैं। अब पांच वर्ष पूर्ण होने वाले हैं जनता भाजपा की योगी सरकार के कार्यों/ उपलब्धियों और क्षेत्रीय विधायकों के कार्य को देखकर वोट देगी। यानि कि आपकी भी अच्छाई और बुराई देखी जायेगी। भाजपा आलाकमान यह जान चुकी है, कार्यकर्ता और पदाधिकारी दोनों ही नाराज हैं और जब आपको मालूम है कि आपके विधायकों से सब नाराज हैं तो आगामी चुनाव में ऐसे विधायकों को टिकट ही नहीं दिया जाये। आप पार्टी के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो क्या जरूरी है कि उन्हीं लोगों को चुनाव मैदान में उतारा जाये जिनसे कार्यकर्ता, पार्टी पदाधिकारी और जनता नाराज है? यदि आपने उन्हीं प्रत्याशियों को टिकट दिया जिनसे पदाधिकारी और कार्यकर्ता नाराज हैं तो आप यह जान लीजिए कि वह निवर्तमान/ पूर्व विधायक रहे प्रत्याशियों को जिताने की बजाय हराने का ही काम करेंगे। चुनाव में सभी पार्टियों को और उनके प्रत्याशी सभी के कार्यो और आचरण को देखकर वोट दिया जाता है। यदि अन्य पार्टियां भी अच्छा काम करती रहें और खराब छवि वाले प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारें तो क्या जनता उनकी छवि नहीं देखेगी? जनता के अपने विधायक से ही काम पड़ते हैं, जनता का हर आदमी मुख्यमंत्री से मिलने में कामयाब नहीं हो पाता। यदि भाजपा के राष्ट्रीय नेता यह मानकर चल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अच्छा कार्य किया है तो एक सच्चाई यह भी है कि इसी सरकार के कार्यकाल में लोगों की बात सरकार तक नहीं पहुंची, जिसे सरकार तक पहुंचाने का दायित्व विधायकों का था। एटा में तो दर्जनों लोगों को बहुत बड़ी क्षति उठानी पड़ी है लेकिन विधायकों ने कोई मदद नहीं की और दर्जनों लोगों के रजिस्ट्री कराये प्लाट यूपीएसआईडीसी अलीगढ़ के क्षेत्रीय प्रबंधक ने बिना कब्जा दिये निरस्त कर दिये। जनता के साथ अधिकारी/ कर्मचारी अन्याय करते रहे लोगों ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतें दर्ज कराईं, क्षेत्रीय विधायकों से न्याय के लिए सहायता मांगी लेकिन सब बेकार गया। न तो जनसुनवाई पोर्टल पर सुनवाई हुई और न विधायक ने जनता की मदद की। अन्य पार्टियों के विधायकों की भांति भाजपा के विधायक भी अधिकारियों के साथ अंतरंग सम्बंध बनाकर आंखें बंद किये बैठे रहे और अधिकारियों ने अवैध कमाई करके मलाई का हिस्सा विधायकों तक पहुंचाया है। यदि यह सही नहीं है तो बतायें कि अधिकारियों के साथ आपके विधायकों ने नरमी क्यों बरती और जिन लोगों ने आम आदमी को माननीय बना दिया जैसे कि- आप जब तक विधायक रहेंगे वेतन, आवास, अनाप शनाप भत्ता, विधायक निधि की कमीशन, विधायक न रहने पर आपको भरपूर पेंशन, यह सब उन लोगों के वोट के कारण हुआ है जिन लोगों के साथ आपके विधायकों ने धोखा दिया है, मदद नहीं की। आखिर लोगों के साथ छल क्यों किया गया? उन्हें न्याय दिलाने के लिए क्यों नहीं अधिकारियों से वार्ता नहीं की? क्यों नहीं विधानसभा में प्रश्न किये गये? धोखा खाये लोग एक प्रतिशत भाजपा को वोट देने की मनःस्थिति में तब होंगे जब उनके सामने पार्टी नये प्रत्याशी को लायेगी। यदि पार्टी फिर उन्हीं चेहरों को उतारेगी तो धोखा खाये वोटरों की कोई मजबूरी नहीं कि उन्हें ही वोट दिया जाये। ऐसी स्थिति में वोटर किसी भी अन्य प्रत्याशी को मतदान कर सकता है और ऐसा न हुआ तो वोट ही डालने न जाए। यदि चुनाव जीतना है तो अभी समय है, भाजपा आलाकमान को जो सोचा है उससे कुछ अधिक बदलाव करने होंगे क्योंकि इस बार उसे पार्टी की स्वच्छ छवि के साथ-साथ, स्वच्छ छवि का प्रत्याशी भी उतारना होगा।