
पंजाब कॉन्ग्रेस का घमासान, चरण सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री पद के एलान के साथ समाप्त हो गया है ! मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ राजनीतिक घटनाक्रम, चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के बाद समाप्त हुआ !
कांग्रेस ने देश के किसी भी राज्य में दलित चेहरे को 40 साल बाद मुख्यमंत्री बनाया है इससे पहले राजस्थान में 80 के दशक में जगन्नाथ पहाड़िया को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया था, जगन्नाथ पहाड़िया पंडित जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी के बहुत करीबी थे, गांधी परिवार से नजदीकियों के कारण 1977 के बाद 1980 में कांग्रेस वापस सत्ता में आई तब कांग्रेस ने राजस्थान में दलित नेता जगन्नाथ पहाड़िया को मुख्यमंत्री बनाया था ! पहाड़िया के बाद 40 साल बाद कॉन्ग्रेस एक बार फिर से दलित नेता को पंजाब प्रांत का मुख्यमंत्री बनाने जा रही है ! पंजाब कांग्रेस मैं नेतृत्व को लेकर चले विवाद को हल करते समय एक बार दलित नेता को पंजाब राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की भी बात हुई थी लेकिन उस समय नवजोत सिंह सिद्धू के अड़ियल रुख के कारण दलित नेता पंजाब कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष तो नहीं बन पाया लेकिन अब दलित नेता पंजाब का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है ! राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस के इस फैसले को यदि गुजरात के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद भाजपा ने पटेल समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाए जाने से जोड़कर देखें तो, कांग्रेस ने भाजपा से राजनीतिक रूप से बाजी मार ली है, गुजरात में पटेल को मुख्यमंत्री बनाना यदि भा जा पा का मास्टर स्ट्रोक था तो फिर पंजाब में कांग्रेस द्वारा दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाना कांग्रेस का बड़ा मास्टर स्ट्रोक है क्योंकि गुजरात में पटेल समुदाय के 18% वोटों पर पंजाब के 32% दलित भारी है, एक और बात पंजाब में प्रमुख विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी से चुनावी गठबंधन किया है और यह गठबंधन पंजाब के 32% वोटों के कारण ही किया गया था, ऐसे में कांग्रेस के द्वारा दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक की कहेंगे ! पंजाब कांग्रेस के आंतरिक विवाद पर नजर डालें तो, विवाद वर्तमान और भविष्य के मुख्यमंत्री के पद को लेकर था ! और कांग्रेस के आंतरिक विवाद के हीरो सिख समुदाय से थे जिनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू और सुखविंदर रंधावा प्रमुख नेता थे, यह तीनों ही नेता वर्तमान और भविष्य के मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे थे ! लेकिन तीनों ही नेताओं के विवाद के चलते दलित नेता चरण सिंह चन्नी ने बाजी मार ली ! कांग्रेस के लिए यह मास्टर स्ट्रोक इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस ने पंजाब में एक ऐसा नाम मुख्यमंत्री के रूप में दिया है जिस नाम का विरोध कांग्रेस के यह तीनों नेता भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि इन तीनों नेताओं का आधार सिखों के अतिरिक्त दलित वोट भी है, इसलिए चन्नी के विरोध का मतलब दलित का विरोध होगा ! अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू जो कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं और सुखविंदर रंधावा चरणजीत सिंह चन्नी के साथ मिलकर 2022 में विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे और लड़कर लगातार दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनाकर इतिहास रचेगी यह देखना होगा !