
उत्तर प्रदेश में राजस्व जांच प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव: भ्रष्टाचार पर लगाम, जनता को त्वरित न्याय!
उत्तर प्रदेश सरकार के इस नए आदेश का भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने किया जोरदार स्वागत!
एके बिंदुसार ने कहा कि तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ 6 महीना पूर्व ही उठाई थी आवाज!
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व मामलों की जांच प्रक्रिया में एक क्रांतिकारी और दूरगामी फैसला लिया है, जिससे अब लेखपाल की रिपोर्ट को अंतिम दर्जा नहीं मिलेगा। यह कदम भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और आम जनता को त्वरित तथा निष्पक्ष न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय की सीधी पहल पर यह महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है, जिसका भारतीय मीडिया फाउंडेशन और उसके संस्थापक एके बिंदुसार ने हृदय से स्वागत किया है।
लेखपाल से नायब तहसीलदार को जांच का अधिकार:
पारदर्शिता की नई सुबह
अब तक उत्तर प्रदेश में राजस्व संबंधी शिकायतों में लेखपाल की जांच रिपोर्ट को ही अंतिम मानकर आगे की कार्रवाई की जाती थी। हालांकि, मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में लगातार मिल रही शिकायतों और भ्रष्टाचार के मामलों में लेखपालों द्वारा की जा रही हेराफेरी के सामने आने के बाद सरकार ने इस व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने का निर्णय लिया है।
नए आदेश के अनुसार, राजस्व मामलों की जांच अब केवल नायब तहसीलदार ही करेंगे। नायब तहसीलदार से नीचे के किसी भी अधिकारी को अब राजस्व मामलों की जांच करने का अधिकार नहीं होगा। यह परिवर्तन जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए अत्यंत आवश्यक था।
शिकायतकर्ता की सुनवाई को प्राथमिकता: न्याय का नया सूत्र
इस नए प्रावधान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि नायब तहसीलदार शिकायतकर्ता को सुनने के बाद ही अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। पूर्व में अक्सर यह देखा जाता था कि शिकायतकर्ता की बात सुने बिना, केवल कागजी कार्रवाई के आधार पर निर्णय ले लिया जाता था, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती थी। अब शिकायतकर्ता की बात को गंभीरता से सुना जाएगा, उसकी आपत्तियों पर विचार किया जाएगा और फिर एक निष्पक्ष रिपोर्ट बनाकर उपजिलाधिकारी (SDM) को भेजी जाएगी। यह कदम आम जनता के लिए न्याय तक पहुंच को सरल और प्रभावी बनाएगा।
अंतिम निर्णय उपजिलाधिकारी स्तर पर: त्वरित और न्यायसंगत समाधान
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद अंतिम निर्णय उपजिलाधिकारी (SDM) स्तर पर ही लिया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि मामलों की समीक्षा और समाधान एक उच्च अधिकारी के स्तर पर हो, जिससे फैसलों में अधिक न्यायसंगतता और त्वरित प्रक्रिया संभव हो सके। यह जनता के बीच प्रशासनिक तंत्र के प्रति विश्वास बढ़ाने में भी मदद करेगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय की संवेदनशीलता: जनता के प्रति जवाबदेही
यह बड़ा प्रशासनिक बदलाव 25 जून 2025 को ही सुनिश्चित हो गया था जो मुख्यमंत्री कार्यालय की संवेदनशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है, जिसने जनता दर्शन में प्राप्त शिकायतों को अत्यंत गंभीरता से लिया। अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि इस नई प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी अधिकारी की रिपोर्ट को अंतिम न मानते हुए, शिकायतकर्ता की सुनवाई के आधार पर न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।
भ्रष्टाचार और मनमानी पर लगेगा ब्रेक: जनता को मिलेगा त्वरित न्याय
यह बदलाव राजस्व विभाग में पारदर्शिता बढ़ाएगा और भ्रष्टाचार को काफी हद तक रोकेगा। लेखपाल स्तर पर अक्सर पक्षपात और देरी की शिकायतें आती थीं, जिन पर यह कदम सीधा प्रहार है। नायब तहसीलदार द्वारा सीधे शिकायतकर्ता से संवाद स्थापित करने से शिकायतों का त्वरित समाधान संभव होगा।
जैसा कि भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने कहा है, “नायब तहसीलदार को अधिक जिम्मेदारी देने से मामलों का त्वरित निपटारा होगा। इससे आम जनता की समस्याओं का समाधान जल्दी होगा और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “पहले लेखपाल के पास शिकायत लेकर जाना होता था, लेकिन अक्सर उनकी रिपोर्ट के कारण निराशा होती थी। अब नायब तहसीलदार से सीधे बात करने का मौका मिलेगा तो उम्मीद है कि समस्याओं का सही समाधान होगा।”
यह निर्णय सरकार की जनता के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है और प्रशासनिक तंत्र की जवाबदेही तथा कार्यकुशलता में सुधार लाएगा। यह कदम आम जनमानस में एक सकारात्मक संदेश देगा कि उनकी सुनवाई होगी और उन्हें न्याय मिलेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि राजस्व मामलों में न्याय की प्रक्रिया प्रभावी और पारदर्शी बने, जिससे प्रदेश में सुशासन की एक नई मिसाल कायम होगी।