देश में भीषण ‌गर्मी, लू और तूफानों का खतरा — ज्ञानेन्द्र रावत

देश इस समय भयानक गर्मी की चपेट में हैं। इसके चलते आने वाले दिनों में देश में भीषण लू, तूफान और बिजली गिरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। हकीकत है कि देश में आज 71 फीसदी लोगों ने पिछले एक साल के दौरान भीषण लू का सामना किया है। येल प्रोग्राम आन क्लाइमेट चेंज द्वारा किये सर्वे में उपरोक्त्त खुलासा हुआ है। इसमें यह भी कि आज ग्लोबल वार्मिग से गर्मी ही नहीं बल्कि और काफी चुनौतियां पैदा हो रही हैं। यही नहीं फसलों पर लगने वाली बीमारियों के प्रकोप के चलते खेती मुश्किल में है। बिजली की समस्या दिनों दिन ग़ंभीर होती जा रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण जल प्रदूषण बढ़ रहा है। जल संकट व वायु प्रदूषण के विकराल रूप धारण करना आज के दौर की सबसे बडी समस्या है। यह कहना है वरिष्ठ पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत का। देश में अब भी हालात सामान्य नहीं हैं। हम यदि अब भी सचेत नहीं हुए तो भारी नुक़सान उठाना पड़ेगा।

यह पहली बार है जबकि तापमान लगातार दिसम्बर से अभी तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ बना हुआ है। यही असामान्य गर्मी और तूफानों का अहम कारण है। गौरतलब है कि यह स्थिति अस्थाई नहीं है। जब तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो वातावरण में जलवाष्प 7 फीसदी तक बढ़ जाता है। इससे हवा में ज्यादा नमी बनी रहती है और बादल न केवल ऊंचाई में बल्कि फैलाव में भी ज्यादा बनते हैं। नतीजतन बिजली गिरने की घटनाएं 12 फीसदी तक बढ़ जाती हैं। ऐसे हालात में जान-माल का नुक़सान ज्यादा बढ़ जाता ह असलियत में आज देश की तीन चौथाई आबादी भीषण गर्मी और लू का सामना कर रही है। गर्मी और लू की मार से लोगों की सेहत बिगड़ रही है और आंख, त्वचा से जुड़ी बीमारियों के शिकार लोगों की तादाद अस्पतालों में तीस से चालीस फीसदी तक बढ़ गयी है।

देश के जिन दस राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में सबसे अधिक गर्मी का जोखिम है, उनमें दिल्ली, महाराष्ट्र,गोवा,केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
देखा जाये तो पिछले दशकों से बहुत गर्म दिनों की तादाद दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। जबकि बहुत गर्म रातों की तादाद और भी अधिक बढ़ रही है। यह चिंताजनक स्थिति है जो स्वास्थ्य जोखिम कोऔर बढ़ा रही है।श्रमिक, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और बीमार लोग हीट स्ट्रोक के उच्च जोखिम में हैं।
देखा जाये तो गर्मी से आंखों और त्वचा से जुड़ी बीमारी से पीड़ित लोगों की तादाद में काफी बढ़ोतरी हो रही है। पसीने और धूल मिट्टी से त्वचा पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा प्रदूषण से आंखों को नुकसान हो रहा है। इसलिए बचाव बहुत जरूरी है। ऐसी स्थिति में डाक्टरों की सलाह लेना बहुत जरूरी है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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