
2016 से चल रही खदान बन गई है मौत का कुआं
ओबरा, सोनभद्र। रास पहाड़ी की जानलेवा खदान, नियमों की अनदेखी, धूल और धुएं का गब्बर और वन्यजीवों और मजदूर पर खतरा
ओबरा सोनभद्र। ओबरा क्षेत्र के रास पहाड़ी इलाके में मे.साई बाबा स्टोन वर्कस द्वारा संचालित पत्थर खदान से जुड़ी समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले से ही जानलेवा रास्तों, नियमों के उल्लंघन और ब्लास्टिंग के धुएं से त्रस्त स्थानीय लोगों के लिए आज फिर एक नई चिंता सामने आई है। यह ताजा घटना प्रशासन और खनन विभाग की लगातार अनदेखी का नतीजा है। खदान में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है और खतरनाक रास्तों पर भारी वाहनों का संचालन जारी हैं।उनका कहना है कि जब तक प्रशासन इस अवैध और खतरनाक खनन पर लगाम नहीं लगाता, तब तक इस तरह की जानलेवा घटनाएं होती रहेंगी। उन्होंने एक बार फिर जिला प्रशासन और खनन विभाग से तत्काल हस्तक्षेप करने और खदान में सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके।इस ताजा घटनाक्रम ने रासपहाड़ी क्षेत्र में चल रहे सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के मुद्दे को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है और कब तक इस “मौत के कुएं” में काम करने वाले मजदूरों और आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।मे.साई बाबा स्टोन वर्कस द्वारा संचालित पत्थर खदान लगातार गंभीर आरोपों और विवादों के केंद्र में बनी हुई है। अंजू राय, जिनके पति धीरज राय हैं, के स्वामित्व वाली यह खदान आराजी संख्या 5414 में 3.43 एकड़ क्षेत्र में फैली है, जिसकी लीज 31 मार्च 2016 से 30 मार्च 2026 तक है। सूत्रों के माने तो यह खदान अब एक “मौत का कुआं” बन चुकी है, जहां खनन नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है और इस खतरनाक माहौल में काम करने वाले मजदूरों के साथ-साथ आसपास रहने वाले निर्दोष नागरिकों की जान भी लगातार खतरे में डाली जा रही है।खदान तक पहुंचने और निकलने का एकमात्र रास्ता लगभग 12 फीट की सीधी और अत्यंत खतरनाक चढ़ाई वाला है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो इस दुर्गम रास्ते पर चढ़ते समय भारी वाहनों के इंजन बंद हो जाने या या ब्रेक फेल हो जाना उनमें किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी आने की प्रबल आशंका बनी रहती है। स्थानीय लोगों का यह दृढ़ विश्वास है कि इस मौत के कुएं से निकलते हुए इस खड़ी चढ़ाई पर कभी भी कोई बड़ा और जानलेवा हादसा हो सकता है। उनका यह सवाल पूरी तरह से जायज है कि जब जिम्मेदार और उच्च पदस्थ अधिकारी इस तरह के जानलेवा खनन कार्य को संचालित करने की अनुमति दे रहे हैं, तो क्षेत्र में लगातार हो रहे दुर्घटनाओं का सिलसिला आखिर कब और कैसे थमेगा। खनन माफिया द्वारा किए जा रहे बेलगाम और अंधाधुंध खनन के कारण क्षेत्र में पहले ही जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे इलाके में पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अब इस जानलेवा और खतरनाक चढ़ाई ने मजदूर लोगों की मुश्किलें और भी कई गुना बढ़ा दी हैं।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे वीडियो में इस खड़ी चढ़ाई की भयावहता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिसे ऊपर से देखने मात्र से ही आम लोगों को चक्कर आने लगते हैं। खदान संचालक ऐसे जानलेवा और अत्यधिक जोखिम भरे माहौल में काम करने वाले गरीब मजदूरों और ड्राइवरों का जमकर शोषण कर रहे हैं। चंद रुपयों की मामूली बख्शीश के लालच में ये ड्राइवर भी अपनी जान जोखिम में डालकर इन खतरनाक रास्तों पर भारी-भरकम वाहन चलाने के लिए मजबूर हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस गंभीर और चिंताजनक स्थिति पर तमाम जिम्मेदार अधिकारी रहस्यमय चुप्पी साधे हुए हैं, जो कई संदेहों को जन्म देती है। अंदर की खबरों के अनुसार, इस खदान में बिना किसी सुरक्षा मानक आने जाने का एक ही रास्ता और बेंच बनाए ही अंधाधुंध तरीके से खनन कार्य लगातार जारी है, जिससे यह खड़ी चढ़ाई और भी ज्यादा खतरनाक हो गई है।इसके अतिरिक्त, स्थानीय लोगों ने इस खदान में ब्लास्टिंग के नियमों के घोर उल्लंघन का भी एक और गंभीर आरोप लगाया है। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, खनन क्षेत्र में ब्लास्टिंग करने का निर्धारित और आधिकारिक समय दोपहर 1:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे के बीच तय किया गया है। खदान संचालक तमाम नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर दोपहर 2:00 बजे के बाद भी ब्लास्टिंग करते हैं। इस अनियमित और पूरी तरह से गैरकानूनी ब्लास्टिंग के कारण आसमान में कई किलोमीटर तक जहरीले धुएं का गुबार फैल जाता है, जिससे आसपास रहने वाले स्थानीय निवासी पर्यावरण को सांस लेने में तकलीफ, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी खून-पसीने की गाढ़ी कमाई का एक-एक रुपया जोड़कर ओबरा में अपने छोटे-छोटे घर बनाए थे ताकि वे शांति और सुकून की जिंदगी जी सकें, लेकिन यहां लगातार हो रही अंधाधुंध ब्लास्टिंग के कारण उनके घरों में गहरी दरारें आ रही हैं और उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं, ब्लास्टिंग के कारण उड़ने वाली धूल की मोटी परत उनके घरों की छतों पर और आसपास हर जगह जमी हुई देखी जा सकती है, जिससे उनका सामान्य जीवन जीना भी दूभर हो गया है। उनका यह बिल्कुल जायज सवाल है कि इस भारी नुकसान की भरपाई आखिर कौन करेगा। सरकार तो राजस्व ले ले रहा है खदान मालिक खदान सब फोल्डर निकाल कर अपना पैसा निकाल ले रहा है। आखिर कब तक ले यह सिलसिला चलेगा सबसे बड़ा और गंभीर सवाल यह है कि इस मौत के कुएं जैसी खतरनाक खदान को चलाने की अनुमति आखिर कौन दे रहा है और इसके पीछे किसका शक्तिशाली संरक्षण है।इस गंभीर और चिंताजनक स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि बार-बार संबंधित विभागों में शिकायत करने के बावजूद इस पर कोई भी ठोस और प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से पुरजोर मांग की है कि इस जानलेवा खनन और ब्लास्टिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए और खनन नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए, ताकि खदान में काम करने वाले गरीब मजदूरों, ड्राइवरों और क्षेत्र में रहने वाले निर्दोष नागरिकों की बहुमूल्य जान और स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। अब यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन और संबंधित विभाग इस गंभीर मामले पर कब जागते हैं और कब तक इस “मौत के कुएं” और नियमों के खुलेआम उल्लंघन पर प्रभावी लगाम लगाते हैं। स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि इस खदान में अंधाधुंध ब्लास्टिंग करके सीमा से कहीं ज्यादा बोल्डर निकाले जा चुके हैं, फिर भी मिली-जुली सरकार में कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण के कारण खतरनाक और डेंजर जोन एरिया में भी जबरन घुसकर लोडिंग का काम किया जा रहा है,