कम्युनिस्टों को रोने दो, उनकी सिसकियां सुनता कौन है! : संजय पराते

कम्युनिस्टों को रोने दो, उनकी सिसकियां सुनता कौन है! : संजय पराते*

इस देश में एक ऐसा परिवार है, जो पहले बीपीएल कार्ड रखता था। अब वह बड़े करदाताओं में से एक है। कभी सुना है ऐसा चमत्कार?

जी हां, किसी व्यक्ति की ऐसी प्रगति सिर्फ भाजपा ही सुनिश्चित कर सकती है। शर्त सिर्फ यही है कि किसी बड़े भाजपा नेता का वह रिश्तेदार हो।

यह चमत्कार त्रिपुरा में हुआ है, जहां पिछले सात सालों से वह सत्ता में काबिज है। अपने दूसरे कार्यकाल का दूसरा सालगिरह कल ही उसने मनाया है। जिस व्यक्ति के पारिवारिक उत्थान की बात हम कर रहे हैं, वह एक भाजपाई मंत्री का बड़ा भाई है। त्रिपुरा में भाजपा शासन से पहले माकपा के नेतृत्व में वाम मोर्चा का शासन था।यह व्यक्ति वाम मोर्चे के शासन में गरीबों में भी गरीब ही बना रहा था। भाजपा शासन में यह अभूतपूर्व विकास हुआ है। इसे अद्भुत विकास भी कह सकते हैं।

भाजपा का इस धरती पर अवतरण समाज और देश के विकास के लिए हुआ है। इस विकास के लिए जरूरी है स्व-विकास! जो अपना विकास नहीं कर सकते, वह दूसरों का क्या खाकर करेंगे? पहले अपना, फिर अपनों का, फिर दूर के अपनों का, फिर दूसरों का … इसके बाद समाज और देश का, विकास के ये क्रमिक चरण है। इस  विकास की गारंटी केवल मोदी ही दे सकते हैं और मोदी की किसी भी गारंटी के पूरा होने की गारंटी केवल भाजपा ही दे सकती है। कहने को तो त्रिपुरा में कांग्रेस भी है और कम्युनिस्ट भी, लेकिन मोदी की किसी गारंटी के पूरा करने की गारंटी देने की गारंटी देने से तो वह रही! जनता मोदी की गारंटी पूरा होने की गारंटी चाहती है, सो उसके सामने भाजपा के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है।

सो इस दूसरे कार्यकाल के दूसरे सालगिरह के अवसर पर बड़ी भव्य रैली हुई। वैसी ही, जैसी किसी सत्ताधारी पार्टी की रैली होनी चाहिए। वैसी ही, जैसे छत्तीसगढ़ में या राजस्थान में या गुजरात में होती है। रैली वैसी ही भव्य थी, जैसे कॉरपोरेटों से मिले अवैध चंदे से बनी विश्व की सबसे बड़ी धन कुबेर पार्टी की रैली होनी चाहिए। स्वामी विवेकानंद मैदान में हुई इस रैली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा शामिल हुए। मुख्यमंत्री माणिक साहा को तो रहना ही था। इस रैली में वे सभी शामिल थे, जिनका भाजपा के इन सात सालों में विकास हुआ है। वे भी शामिल हुए, जो चाहते हैं कि उनका भी ऐसा ही अभूतपूर्व और अद्भुत विकास हो। भाजपा और गोदी मीडिया ने बताया है कि भाजपा की रैली में यह आम जनता की शिरकत थी, जो इन सात सालों में अपने विकास से गदगद थी। नड्डा ने साफ-साफ कहा है कि भाजपा सत्ता में सेवा करने के लिए दिन-रात काम कर रही है और वह आखिरी छोर पर खड़े आखिरी व्यक्ति की सेवा करके ही दम लेगी।

भाजपा ने जब रैली में फिर गुहार लगाई — सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, तो आम जनता ने खूब तालियां पिटी। फिर से गारंटी मिली है कि देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जाएगा, चाहे इस रास्ते पर विपक्षी कांग्रेस और कम्युनिस्ट कितना भी अड़ंगा क्यों न लगा लें। विपक्ष का यह रास्ता जाम आंदोलन मोदी के रथ को नहीं रोक सकता। वह इसे 3 से 5 ट्रिलियन डॉलर में ले जाकर ही मानेंगे। आज देश में डॉलरपतियों की संख्या 6% की दर से बढ़ रही है। इसे और तेज करना है। यदि यही रफ्तार रही, तो 2,80,000 सालों में देश के सभी लोग टाटा-बिड़ला, अडानी-अंबानी बन जाएंगे। ऐसी दूरदृष्टि मोदी के सिवा और किसके पास है? बस सबका साथ देने की जरूरत है। और साथ का मतलब है, मजदूरों और किसानों को हर रोज 13-14 घंटे काम करना चाहिए और अपनी मजदूरी और तनख्वाह बढ़ाने, बोनस लेने जैसी तुच्छ मांगें छोड़ देनी चाहिए। बस, इतने से कदम से जो अभूतपूर्व संपदा इस देश में पैदा होगी, वह सबको करोड़पति बना देगी। प्रगति के इस भाजपाई फार्मूले पर सबको विश्वास करना होगा, क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि भाजपा यह करके दिखा रही है। भाजपा जो कहती है, सो करती है। भाजपा ने कहा था कि एक धक्का और दो, और उसने राम मंदिर बनाकर दिखा दिया। मोदी और भाजपा की यही गारंटी है।

इधर त्रिपुरा में माकपा नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता जितेन्द्र चौधरी ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने जो वादा किया था, उसे पूरा करने में वह नाकाम रही है। उसने 50000 नौकरियां नहीं दी, मनरेगा में 340 रूपये रोजी के साथ 200 दिनों का काम नहीं दिया, बमुश्किल 40 दिनों का काम मिला, तो भुगतान नहीं हुआ, 7वां वेतन आयोग नहीं बनाया, जिसके कारण कर्मचारियों को 23% कम महंगाई भत्ते का भुगतान हो रहा है। न एम्स बना, न मेडिकल कॉलेज खुला और न ही इनलैंड जलमार्ग की शुरुआत हुई। सिविल सचिवालय से लेकर ग्राम पंचायत तक कोई भी काम बिना कमीशन के बिना नहीं होता।

हां, ये सब वादे भाजपा ने किए थे, तो क्या हुआ? वादे तो होते ही मुकरने के लिए है। भाजपा ने तो साफ-साफ और पूरी ईमानदारी से बता दिया है कि चुनावों में ऐसी जुमलेबाजी तो चलते रहती है। उससे वह बंधी नहीं है। बंधन है, तो केवल मोदी की गारंटी का और वादे, गारंटी नहीं होते। वादे पूरा करने का काम कांग्रेस और कम्युनिस्टों का है, भाजपा का नहीं। और हां, जहां तक कमीशनखोरी का सवाल है, बिना कमीशन विकास भी नहीं होता। भ्रष्टाचार होता रहेगा, चलता रहेगा और भाजपाई वाशिंग मशीन उसे साफ भी करती रहेगी। भाजपा का काम तो विकास और केवल विकास है। यह मोदी की गारंटी है। कम्युनिस्ट वादे पूरा न होने का रोना रो रहे हैं, तो उन्हें रोने दो। अब उनकी सिसकियां सुनता भी कौन है!

*(विष्णु नागर प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं। राजेंद्र शर्मा ‘लोकलहर’ के संपादक हैं। संजय पराते राजनैतिक कार्यकर्ता हैं।)*

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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