शबरी जयंती आज

रामायण काल भगवान राम की परम भक्त माता शबरी के बारे में तो आुने सुना ही होगा। शास्त्रों में वर्णन मिलता है। कि शबरी माता ने प्रभु राम को झूठे बेर खिलाए थे। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है। यह दिन मां शबरी की श्री राम के प्रति भक्ति को समर्पित है। इस दिन भगवान राम के साथ ही मां शबरी की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन भगवान की मन से सेवा-सत्कार करने पर प्रभु भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं. इसी मान्यता के अधार पर इस दिन माता शबरी की पूजा करते हैं और भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
शबरी जयंती का महत्व
माता शबरी भगवान राम की परम भक्तों की श्रेणी में जानी जाती हैं। रामायण के दौरान जब भगवान राम 14 साल का वनवास काट रहे थे, तब वे शबरी माता के आश्रम गए और उनको दर्शन दिए थे। दर्शन करने के बाद दिन रात शबरी माता प्रभु राम के दर्शन करने की प्रतीक्षा करती रहती थीं। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम उनसे मिलने गए। उनके आने पर माता शबरी ने भक्ति भाव से भगवान राम को बेर खिलाए थे। कहा जाता है कि शबरी जयंती वही दिन है जब भगवान राम उनके आश्रम पधारे थे और शबरी माता द्वारा दिए गए बेर खाए थे।
शबरी जयंती पर ऐसे करें पूजा
शबरी जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर (ब्रह्म मुहूर्त में) स्नान-ध्यान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद ईशान कोण में प्रभु श्री राम और माता शबरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और विधिवत पूजा करें। भगवान श्री राम और माता शबरी को धूप, दीप, गंध, फूल, अक्षत आदि चीजें अर्पित करें। इस दिन मीठे बेर का भोग जरूर लगाएं। ऐसा करने से प्रभु श्रीराम जल्दी प्रसन्न होते हैं। और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अंत में भगवान श्री राम की आरती करें और भोग में चढ़ाए बेर प्रसाद के रूप में बांटें।