दिल्ली की सत्तर सीटों के गणित में मुख्यमंत्री कौन होगा यह सवाल विधानसभा के दरवाजे पर खड़ा मुँह ताक रहा है!

दिल्ली की सत्तर सीटों के गणित में मुख्यमंत्री कौन होगा यह सवाल विधानसभा के दरवाजे पर खड़ा मुँह ताक रहा है!

बीजेपी ने 70 सीटों के गणित में 47 सीट जीत पर दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया है लेकिन इस कब्जे को करने में बीजेपी को आम आदमी पार्टी के नोसीखिए नेता अरविन्द केजरीवाल से लड़ना पड़ा है। वही केजरीवाल जो एक आंदोलन से निकल कर राष्ट्रीय पार्टी के रूप में देश में उभर कर आये और बीजेपी के लिए हर राज्य में मुसीबत बन कर सामने आये है।

दिल्ली की सत्ता की चाह महज बीजेपी को नहीं थी, इस राज्य पर कांग्रेस भी काबिज होना चाहिए थी। लेकिन गणित के खेल में कांग्रेस आप के लिए हार और बीजेपी के लिए जीत का रास्ता हर विधानसभा सीट पर बनाती चली आई और बीजेपी 47 सीटों के साथ दिल्ली की विधानसभा में सरकार का मुख्यमंत्री बनाने जा रही है।

सवाल वही लौट कर आ गया है कि आखिर बीजेपी दिल्ली की सत्ता पर मुख्यमंत्री किसको और किस कारण से बना सकती है. पूर्व के राज्यों में हुए चुनावों को अगर ध्यान से देखे तों सभी राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा ऐसा व्यक्ति निकल कर आया है जिसे कोई सोच ही नहीं सकता था. क्या ऐसा ही दिल्ली में होगा.

यह चर्चा का विषय इसलिए है क्योंकि बीजेपी 27 साल के बनबास को काट कर सिंहासन पर काबिज हों रही है. ज़ब से दिल्ली के चुनाव होने शुरू हुए है. केजरीवाल की सीट पर बीजेपी के प्रवेश वर्मा का काफ़ी दिनों से जिक्र हों रहा है कि वही मुख्यमंत्री होंगे लेकिन कैलाश गहलोत का भी जिक्र आ रहा है लेकिन परदे के सामने दिखाई दे रहा चेहरा मुख्यमंत्री शायद ही हों!!

दिल्ली में बैठे CONFERENCE TEAM के संपर्क बता रहें है कि दिल्ली की सीट पर किसी सरदार को मुख्यमंत्री बनाने के अंदरूनी जिक्र हों रहें है. ऐसा अगर हों भी रहा है तों कौन ऐसा सरदार है जो अमित शाह के संपर्क में है और इस खेल में वरीयता बनाये हुए है ज़ब मिडिया प्रवेश वर्मा की चर्चा दिन रात कर रही हों।तब सवाल को जवाब नहीं मिल रहा है!!

👉एक नाम अभी दिल्ली की जनता ने नहीं सोचा होगा लेकिन संभव यह भी हो सकता है कि राजोरी गार्डन के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली का नया चेहरा हों क्योंकि इस जवाब के कई कारण भी है. जिसे बीजेपी के नजरिये से देखना पड़ेगा.

👉👇अकाली दल से जुड़े होने के बाद वर्तमान में सिरसा बीजेपी के साथ काफ़ी समय से जुड़े भी है साथ ही सिरसा हरियाणा से है साथ ही पंजाबी परिवार से आते है.. दिल्ली में निवास करके बीजेपी के साथ जनता की सेवा में लगे हुए है. यह भी जरुरी है कि सरदारों का टुटा विश्वास भी बीजेपी के साथ जुड़ेगा ज़ब सिरसा दिल्ली की कुर्सी पर बैठेंगे..

अगर बीजेपी द्वारा किसी और समुदाय से मुख्यमंत्री चुना गया तों फिर देश में सरदारों का टुटा विश्वास जमा कर पाना मुश्किल होगा क्योंकि पंजाबी इस सीट पर बैठ कर बीजेपी के लिए फायदा दे सकते है। अभी तब बीजेपी को जिस वर्ग ने वोट किया है उस वर्ग के लगभग सभी को कुछ न कुछ मिला गया है लेकिन सरदार को अभी तक कुछ नहीं मिला है….. तों मुख्यमंत्री सरदार बनाना बीजेपी के लिए फायदे का रहेगा….!!साथ मुख्यमंत्री सरदार नहीं बना तों बीजेपी को इसका नुकसान देश भर में उठाना ही पड़ेगा… क्योंकि चाणक्य नीति सरदारों पर नहीं चलेगी….!!!

👉फिलहाल यह राजनैतिक चिंतन से उपजा हुआ एक विचार है.जो कि अगर संभव होता है तों दिल्ली के साथ बीजेपी हरियाणा, पंजाब, सरदार समाज साथ ही राजनैतिक कार्यों को तेजी के साथ करेंगी।

देखते है दिल्ली के भाग्य में कौन मुख्यमंत्री है!!

पी एस राजपूत
CONFERENCE
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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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