प्रसार भारती अध्यक्ष नवनीत सहगल ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी

प्रसार भारती अध्यक्ष नवनीत सहगल ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी, नैनी अरेल में दूरदर्शन स्टूडियो का किया निरीक्षण

प्रयागराज। महाकुंभ नगर, प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत सहगल ने आज अपने परिवार के साथ संगम में पवित्र स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ की आध्यात्मिक अनुभूति के साथ उन्होंने श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को नजदीक से समझा और उनकी आस्था को प्रणाम किया। स्नान के उपरांत उन्होंने नैनी अरेल संगम नोज सेक्टर 4 मे बने आकाशवाणी दूरदर्शन केंद्र स्टूडियो का निरीक्षण किया, जहाँ उन्होंने प्रसारण व्यवस्थाओं की समीक्षा की और महाकुंभ की व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने पर जोर दिया। निरीक्षण के दौरान दूरदर्शन और आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
नवनीत सहगल ने स्टूडियो की आधुनिक तकनीकों और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं का अवलोकन किया और कहा कि महाकुंभ की सजीव व विश्वसनीय कवरेज के लिए यह स्टूडियो एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरा है।
महाकुंभ में सूचना प्रसारण की प्रभावशीलता को देखते हुए नवनीत सहगल ने ‘कुंभ वाणी’ रेडियो स्टेशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब आप ऐसा कार्य करते हैं, जिससे करोड़ों लोगों तक सही जानकारी और आध्यात्मिक संदेश पहुँचे, तो यह अपने आप में एक आत्मसंतोष देने वाला अनुभव होता है। उन्होंने कहा कि कुंभ वाणी रेडियो स्टेशन श्रद्धालुओं के लिए ज्ञान, भक्ति और सूचना का प्रभावी माध्यम बना है, जिससे महाकुंभ में आने वाले यात्रियों को उपयोगी जानकारी प्राप्त हो रही है। उन्होंने दूरदर्शन और आकाशवाणी की पूरी टीम को इस सफल प्रयास के लिए बधाई दी और कहा कि इस तरह के नवाचार भविष्य में भी जारी रहने चाहिए, ताकि जनसंचार के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुँचाया जा सके।
महाकुंभ में सूचना एवं प्रसारण सेवाओं की महत्ता को रेखांकित करते हुए नवनीत सहगल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं तक सटीक, त्वरित और प्रभावी जानकारी पहुँचाने के लिए रेडियो, टेलीविजन और डिजिटल मीडिया का अधिकतम उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि सूचना संचार को निर्बाध बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया जाना चाहिए, जिससे महाकुंभ की हर महत्वपूर्ण गतिविधि देश-विदेश के श्रद्धालुओं तक सहजता से पहुँच सके। उन्होंने आगे कहा कि कुंभ वाणी और दूरदर्शन के माध्यम से महाकुंभ का व्यापक प्रसारण केवल एक तकनीकी उपलब्धि ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दायित्व भी है, जिससे इस भव्य आयोजन का संदेश जन-जन तक पहुँचे और इसकी दिव्यता एवं भव्यता हर नागरिक अनुभव कर सके।
राम आसरे

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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