
कन्नौज का फेमस इत्र की रियायती मूल्य पर की जा रही खरीदारी
बरेली 30 दिसंबर। ‘‘बरेली खादी महोत्सव 2024-25’’ में आज सायं 05ः00 बजे से विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिठ समाजसेवी अनिल सक्सेना एडवोकेट मौजूद रहे
कवि मंच संचालक रोहित राकेश ने किया- जीवन को जीवन में खुशियों की बहार दीजिए, खादी का मेला यह संवार दीजिए। आए हो यहा तो कुछ लेकर जाना है, प्यार के बदले सबको प्यार दीजिए। श्री विश्वजीत निर्भय ने कहा- बड़ा है नाम इसका और ये पोशाक सादी है। प्रियांशु त्रिपाठी ने कहा- अंग्रेजों के सामने झुकी न जिसकी शान, खादी के कारण बढ़ा गाँधी का सम्मान। गीतकार कमल सक्सेना ने कहा- भारत की सभ्यता को देश में फला गये। जो वस्त्र विदेशी की होलियाॅ जला गये। कमल कान्त श्रीवास्तव ने कहा- खादी पहन गाँधी बनने में, सारा जीवन लगता है, तन लगता है, मन लगता है, पूर्ण समर्पण लगता है। कवियित्री श्रीमती अंशु गुप्ता ने कहा- प्रतीक है यह आजादी का नाम है खादी है। खादी मतलब स्वदेशी, पहचान इसकी गाँधी है। श्री ध्रुव भरतवंशी ने कहा- यह गाँधी की खादी है इससे मिली आजादी है। इस कवि सम्मेलन में अपार जन समूह द्वारा काव्य पाठ का आनन्द लिया गया।