एटा महोत्सव बना अफसरों का निजी कार्यक्रम

अजय हुड्डा नाइट में अधिकारी सोफों पर बैठकर बजा रही थे ताली और जनता बाहर खा रही थी गाली

एटा महोत्सव बना अफसरों का निजी कार्यक्रम

एंकर एटा उत्तर प्रदेश के एटा जनपद मुख्यालय पर आयोजित एटा महोत्सव के दौरान प्रशासनिक अव्यवस्थाओं ने जनता को निराश कर दिया। पंडाल के बाहर गुस्साई भीड़ अधिकारियों और व्यवस्था पर सवाल उठाती रही मीडिया और जनता का अपमान: मीडिया गैलरी पर पुलिस और अन्य लोगों का कब्जा, वहीं पत्रकार कार्यक्रम के दौरान इधर-उधर भटकते रहे।
वीआईपी और वीवीआईपी पास का अपमान: वीआईपी और वीवीआईपी कार्ड धारकों को भी पुलिस ने पंडाल में प्रवेश नहीं दिया इससे आयोजकों के खिलाफ गुस्सा और रोष बढ़ा हंगामा और तोड़फोड़: नाराज जनता ने पंडाल में कुर्सियां और बैरिकेडिंग तोड़ी हरियाणवी गायक अजय हुड्डा की प्रस्तुति: गायक अजय हुड्डा के गीतों पर युवाओं ने जमकर डांस किया, लेकिन व्यवस्था में फैली अव्यवस्था का माहौल भी साफ झलक रहा था।

एटा की जनता मे दिखा गुस्सा:

कार्यक्रम में पहुंचे प्रमोद कुमार ने नाराजगी जताते हुए कहा कि महोत्सव अब केवल अधिकारियों, नेताओं और उनके चहेतों तक सीमित रह गया है। अधिकारी अपने परिवार और रिश्तेदारों को वीवीआईपी स्थानों पर बैठा देते हैं, जबकि जनता को बाहर रोक लिया जाता है पुलिसकर्मी उनसे अभद्रता करते हैं गालियां देते हैं जबकि प्रदर्शनी जनता के लिए जनता के पैसे से ही लगाई जाती है इस वर्ष पैसे की बचत करने के लिए प्रशासन व ठेकेदार द्वारा प्रदर्शनी पंडाल को भी छोटा कर दिया गया है

एटा की जनता का सवाल:

एक पासधारक ने नाराजगी भरे शब्दों में कहा, “यह एटा महोत्सव” जनता के पैसे से होता है, लेकिन इसका फायदा सिर्फ अधिकारी और उनके परिवार वाले उठाते हैं। जनता को लाठियां और गालियां मिलती हैं। यह कार्यक्रम अधिकारियों का निजी शो बनकर रह गये है।”वहीं कार्यक्रम देखने आये दिनेश कुमार ने कहा कि कि पूर्व के कार्यक्रम में भी प्रशासन ऐसा ही करता रहा है। हमेशा यह लोग ही पूरे कार्यक्रम पर कब्जा कर लेते हैं। इसी लिये इससे पूर्व हुई दो नाइटो के प्रदर्शनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम पूरी तरह फ्लाफ शो रहे। यहां आकर सिर्फ अपमान ही होता है क्या यह जनता का महोत्सव है या अधिकारियों का एटा महोत्सव की अव्यवस्थाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ऐसे आयोजनों का उद्देश्य जनता का मनोरंजन है या केवल अधिकारियों और उनके चहेतों की मौज आयोजनों में पारदर्शिता और जनता के लिए समर्पण का भाव लाना जरूरी है ताकि महोत्सव का असली उद्देश्य जनता का मनोरंजन पूरा हो सके।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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