
छत्तीसगढ़ में बस्तर रीजन छोड़ कहां भाग रहे हैं नक्सली, कैसे उनके ट्रांजिट रूट को पहुंची बड़ी चोट? इंसाइड स्टोरी बस्तर: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के ज्वाइंट ऑपरेशन ने नक्सलियों की एक बड़ी चाल को नाकामयाब कर दिया है. बस्तर रीजन जो कभी क्सलियों का गढ़ हुआ करता था वहां नए-नए सुरक्षा बलों के कैंप की स्थापना की गई है.इस कारण नक्सलियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. नक्सली कैडरों में बहुत भाड़ी बेचैनी बढ़ी है. लिहाजा वह बस्तर रीजन को छोड़ वैकल्पिक रूट की तलाश कर रहे हैं जिससे वह किसी भी तरीके से सुरक्षा बलों के चंगुल से बच निकलें.
बस्तर रीजन को छोड़ने के लिए उन्होंने रास्ता चुना है छत्तीसगढ़ के गरियाबंद का. यह उड़ीसा सीमा से नजदीक है और बढ़ते दबाव की वजह से नक्सली गरियाबंद से उड़ीसा नोवापारा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं. खुफिया एजेंसी सूत्रों के मुताबिक मौजूदा समय में नक्सलियों के ऊपर बड़े स्तर पर कार्रवाई हो रही है. पिछले 1 साल में नक्सलियों के कई बड़े नेता और कई कैडरों को मारा गया है.
बस्तर छोड़ यहां भाग रहे हैं नक्सली
इस तरह की कार्रवाई से नक्सली पूरी तरह से हताश हो गए हैं और तितर बितर गए हैं. अपने बचने का कोई रास्ता ना देख नक्सली बस्तर रीजन छोड़ गरियाबंद का रुख अख्तियार कर रहे हैं. गरियाबंद इलाके में नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी मेंबर गणेश वीके और मनोज के मौजूदगी की जानकारी पुलिस और खुफिया एजेंसी को है. जानकारी के मुताबिक नक्सलियों की ये शीर्ष लीडरशिप अपने काडरों को छत्तीसगढ़ से उड़ीसा भेजने में मदद कर रही है.
इसी रूट और नक्सलियों के इसी बच निकलने के तरीके को शुक्रवार के नक्सली एनकाउंटर ने ध्वस्त किया है. पुलिस के मुताबिक इस एनकाउंटर में मारे गए नक्सली उदंती एरिया कमेटी के सदस्य हैं. यह वही कमेटी है जो गणेश सी के और मनोज की सरपरस्ती में काम कर रही है और नक्सलियों के मूवमेंट को फिर से जिंदा करने की कोशिश में लगी हुई है. नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के इन दोनों सदस्यों पर 40 लाख रुपए का इनाम है. मौजूदा समय में इनकी यही कोशिश है कि हर हाल में नक्सल मूवमेंट को जिंदा रखा जाए. साथ ही उनकी कोशिश यह भी है कि वह किसी तरीके से बचे खुचे नक्सलियों पर सुरक्षा और पुलिस एजेंसी की नजर ना पड़े.
चलाए जा रहे ऑपरेशन से नक्सलियों में खौफ
खुफिया सुरक्षा एजेंसी का यह भी मानना है कि बदलते हालात में नक्सली संगठन की कोई बड़ी बैठक पिछले डेढ़ साल में हो ही नहीं पाई है. लगातार सुरक्षा बलों की मौजूदगी और नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन से टुकड़ों टुकड़ों में नक्सली बचकर निकलने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी इसी कवायत में गरियाबंद मौजूदा परिस्थितियों में उनके लिए एक मुनासिब जगह साबित होती हुई दिख रही है.
पिछले 1 साल में गहन तरीके से छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सलियों के पास इस्तेमाल किए गए लिटरेचर को भी पढ़ा है. खुफिया एजेंसी सूत्रों के मुताबिक मौजूदा हालात में नक्सली यह मान रहे हैं कि फिलहाल उनका मूवमेंट कमजोर हुआ है. उनके लिटरेचर के मुताबिक अब यह जाहिर हो रही है उनकी प्राथमिकता पुलिस और सुरक्षा बलों से मुकाबला करने के बजाय उनकी नजरों से और चंगुल से किसी तरीके से जल्दी से जल्दी बच निकलना है. बहरहाल इस ऑपरेशन के बाद नक्सलियों के इस ट्रांसिट रूट पर भी चौकसी बढ़ा दी गई है और उनके बचने का अंतिम रास्ता भी पूरी तरीके से रोक दिया गया है.