जघन्य हत्या मामले में उनके आवास पर उनके परिजनों से जाकर मिले पूर्वांचल महापंचायत पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मिंटू राजभर

5 दिसंबर 2024 को वाराणसी के भेलूपुर अंतर्गत सुदामापुर निवासी सुरेश राजभर की हुई जघन्य हत्या मामले में उनके आवास पर उनके परिजनों से जाकर मिले पूर्वांचल महापंचायत पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मिंटू राजभर।
वाराणसी समाचार।
वाराणसी के भेलूपुर अंतर्गत सुदामापुर निवासी सुरेश राजभर के हत्या मामले में पूर्वांचल महापंचायत पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मिंटू राजभर ने मृतक के आवास पहुंचकर उत्तर प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन पर इस मामले में हिलाहवाली करने का आरोप लगाया।
मिंटू राजभर ने कहा कि उत्तर प्रदेश के दो कैबिनेट मंत्री जो राजभर समाज के हैं लेकिन गूंगे बहरे बने हुए हैं उनको समाज से कोई लेना-देना नहीं है उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में राजभरों के साथ लगातार अत्याचार एवं अन्याय हो रहा है।
उन्होंने कहा कि शहिद सुरेश राजभर को न्याय दिलाने के लिए राजभर समाज संगठित होकर सड़कों पर उतरकर आंदोलन भी करने की तैयारी में है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर जातिवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि यही अगर मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री महोदय के जाति का व्यक्ति होता तो अब तक कई लाख रुपये उसके घर पर पहुंच गए होते जबकि राजभर समाज के दो बड़े कैबिनेट मंत्री हैं लेकिन उनकी हिम्मत नहीं है कि मुख्यमंत्री के सामने राजभर समाज को न्याय दिलाने की बात कर सकें क्योंकि यह लोग गुलाम कैबिनेट मंत्री हैं जो अपने स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं।
उन्होंने कहा कि सुदामापुर में 5 दिसंबर 2024 गुरुवार रात करीब 11.30 बजे घर से 50 मीटर दूर मालवाहक चालक 33 वर्षीय सुरेश राजभर की गोली मारकर बदमाशों ने हत्या कर दी थी। परिवार के लोगों का कहना है सुरेश राजभर गुरुवार रात खाना खाकर घर से बाहर निकला था। करीब साढ़े 11 बजे बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। गोली की आवाज सुनकर परिजन और पड़ोसी आएं तब तक सभी भाग निकले।
सुरेश के सिर में दाईं ओर एक गोली और सीने में एक गोली लगी थी।
सुरेश के परिवार में पत्नी रंजना, दो बेटियां और एक बेटा है।
श्री मिंटू राजभर ने कहा कि जिले की पुलिस प्रशासन मनगढ़ंत कहानी बनाकर मामले को दबाना चाहती है और अपराधियों को बचाना चाहती है इसको एक मामूली आपसी विवाद दिखाकर अचानक घटना घट गई जैसे मामले में तब्दील करना चाहती हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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