सड़कों पर जाम एक आम बात सी हो गई–

, up-एटा–
एटा-जिला-और यातायात सिस्टम हाथ का पंजा–
सड़कों पर जाम एक आम बात सी हो गई–
पर इसमें फंसी एसी मजबूरियां भी सामिल है जो आम नहीं दर्द नाक है–
जैसे बीमार एम्बुलेंस में जिंदगी की जंग मौत से लड़ रहा होता है दवा तक जल्दी पहुंचने के लिए पर दवा तो नशीव नहीं होती है जाम इंसान को ही घेरकर मौत के मुंह में जरूर दें देता है—
जाम जान लेवा हो चला है अब फिर चाहे इनमें फंसी जनता हो या मुख्य गंतव्य से वंचित बो इंसान इसके बीच में फंसा कभी कभी कोई अपनों के अंतिम दर्शन के लिए इस जाम में फंसकर समय पर नहीं पहुंच पाता है पर दर्द हमेशा के लिए कसक बनकर रह जाता है इंसान के अंदर तब जाम आम कैसे हो सकता है इसकी व्यवस्था में लापरवाही इंसानों की जिंदगी ले रही है पर एटा शहर का जाम अब बारहमासी हो गया है और सिस्टम हाथ का पंजा पंजा– हैरानी होती हैं सड़क पर भीड़ देखकर जितनी ओटो रिक्शों की है शायद उतना सड़क पर इंसान भी नहीं दिखता है कुल मिला कर एटा शहर की बाउंड्री चार या थोड़ा इधर उधर किलोमीटर के विस्तार में हो सकती है और इन ओटो बालो का किराया पर सवारी 20,30,40, तक पहुंच रहा है क्योंकि कि यह एक सवारी नहीं ले जाते हैं और एक सवारी फिर चाहे अंधेरे में सड़क पर खड़ी अकेली महिला हो या कोई भी मजबूरी संवेदनाओं रहित इंसान–जब तक उसमें छ, सवारी न बैठ जाएं और अगर एक सवारी है तो उसकी मजबूरी का जबरदस्त फायदा इनकी आदत में सुमार हो रहा है इस छोटे से शहर में और इनकी बढ़ती तादाद का मतलब क्योंकि बड़े शहरों में इतना किराया ये कभी नहीं ले सकते हैं जितना ये यहां ले रहे हैं इतने किराए से बड़े वाहन में इंसान जैथरा कुरावली मैनपुरी आसपास के शहरों में आ जा सकता है जितना ये यहां कमा रहे हैं न कोई रूल न कायदा इन्हें रोकने जैसा यातायात सिस्टम भेड़ बकरियों की तरह ये रौब से आगे निकलते हैं बड़े बड़े वाहन इनसे बच कर निकल जाते हैं पर ये सायड नहीं देते हैं।
दीप्ति,✍️

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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