पराली नहीं, इस वजह से सबसे ज्यादा हवा हो रही जहरीली, स्टडी रिपोर्ट से हुआ खुलासा
दिल्ली व हरियाणा प्रदूषण बोर्ड की एक स्टडी रिपोर्ट सामने आई है। इससे मालूम चलता है कि पराली नहीं, बल्कि अन्य कारणों से इस मौसम में सबसे ज्यादा प्रदूषण बढ़ता है। आइए जानते हैं…”
ठंड के मौसम में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। लोग सांस भी स से नहीं ले पाते। सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए ये समय काफी मुश्किल भरा रहता है। बड़ी संख्या में लोग इससे बीमार हो रहे हैं। ऐसे समय सबसे ज्यादा अगर किसी बात की चर्चा होती है तो वह है पराली की। आरोप लगाए जाते हैं कि खेतों में पराली जलाने से ही सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। हालांकि, अब दिल्ली व हरियाणा प्रदूषण बोर्ड की एक स्टडी रिपोर्ट सामने आई है। इससे मालूम चलता है कि पराली नहीं, बल्कि अन्य कारणों से इस मौसम में सबसे ज्यादा प्रदूषण बढ़ता है। आइए जानते हैं…
किस वजह से सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है हवा?
रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों के समय हरियाणा की हवा में सबसे ज्यादा 58 फीसदी प्रदूषण (पीएम 2.5) की हिस्सेदारी इंडस्ट्री और ट्रांसपोर्ट की हैं। इसमें इंडस्ट्री 30 और 28 फीसदी है। जबकि पराली जलाने से सबसे कम चार फीसदी प्रदूषण है। वहीं, धूल (मिट्टी, सड़क व कंट्रक्शन) से 17, रिहायशी क्षेत्र में 10 और 11 फीसदी प्रदूषण के अन्य कारण हैं।
इसी तरह पीएम 10 प्रदूषण स्तर में सबसे ज्यादा इंडस्ट्री, धूल व ट्रांसपोर्ट की 78 फीसदी हिस्सेदारी हैं। इसमें इंडस्ट्री 27, धूल (मिट्टी, सड़क, कंट्रक्शन) 25 और ट्रांसपोर्ट 24 फीसदी हैं। यहां भी पराली का प्रदूषण चार फीसदी हैं। इसके अलावा रिहायशी 9 और अन्य कारणों की 11 फीसदी हिस्सेदारी हैं। इंडस्ट्री और ट्रांसपोर्ट में पीएम 2.5 प्रदूषण की मात्रा में अधिक हैं, जो सूक्ष्म होने के कारण पीएम 10 से कहीं ज्यादा खतरनाक होता हैं।
ये भी जानें
सर्दियों के मुकाबले गर्मी के सीजन प्रदूषण फैलाने वाले कुछ कारकों के पैमाने में अंतर है। इसमें पीएम 2.5 के प्रदूषण सबसे ज्यादा धूल (मिट्टी, सड़क, कंट्रक्शन) 38 व इंडस्ट्री से 22 फीसदी हिस्सेदारी हैं।
पराली या कृषि अवशेष जलाने पर 7 फीसदी प्रदूषण होता है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट 17, रिहायशी क्षेत्र 8 व अन्य कारण 8 फीसदी हैं।
इसी तरह गर्मी में पीएम 10 प्रदूषण में सबसे ज्यादा धूल (मिट्टी,सड़क, कंट्रक्शन) 42 फीसदी हिस्सेदारी है। साथ ही इंडस्ट्री 22, ट्रांसपोर्ट 15, रिहायशी क्षेत्र 8, अन्य कारण 7 व कृषि अवशेष जलाने पर 7 फीसदी प्रदूषण होता हैं।
हरियाणा के किस जिले में प्रदूषण के क्या हैं सबसे ज्यादा कारण?
गुरुग्राम: यहां सबसे ज्यादा प्रदूषण कंट्रक्शन 32 व माध्यमिक 23 फीसदी (पीएम 10) हैं। जबकि पीएम 2.5 प्रदूषण में सबसे ज्यादा माध्यमिक (सेकेंडरी) 27 व बॉयोमॉस 23 फीसदी हैं। प्रारंभिक प्रदूषण से मिलकर बनने वाला माध्यमिक प्रदूषण में इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट, पराली, धूल व रिहायशी प्रदूषण शामिल होते हैं।
फरीदाबाद: सबसे ज्यादा धूल व कंट्रक्शन 44 (पीएम 10) और माध्यमिक (सेकेंडरी) 30 फीसदी (पीएम 2.5) हैं। जबकि 36 माध्यमिक व 20 फीसदी वाहन (पीएम 2.5) का प्रदूषण है।
बहादुरगढ़: सबसे ज्यादा 26 फीसदी धूल व कंट्रक्शन व 21 फीसदी माध्यमिक कारण (पीएम 10) हैं। जबकि बॉयोमास से 21 व 18 फीसदी कंट्रक्शन (पीएम 2.5) प्रदूषण है।
सोनीपत: धूल व कंट्रक्शन से 40 व वाहन से 23 फीसदी (पीएम 10) प्रदूषण होता है, जबकि बॉयोमास 27 व वाहन से 26 फीसदी प्रदूषण (पीएम 2.5) होता हैं।