भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र सरकार पर लगाए धोखाधड़ी का गंभीर आरोप।*
*पत्रकार सुरक्षा कानून विधेयक 2023 छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून विधेयक 2017 जो लागू करने की घोषणा की गई थी वह मात्र कागजों में सीमट कर रह गई।*
*महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ हुआ छलावा।*
नई दिल्ली।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन नई दिल्ली से जारी बयान में भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी के के चीफ मीडिया सरकार एके बिंदुसार ने कहा कि पत्रकार सुरक्षा कानून विधेयक 2023 छत्तीसगढ़ एवं उससे पूर्व महाराष्ट्र में पत्रकार सुरक्षा कानून विधेयक 2017 को लागू करने की घोषणा की गई थी जो हवा हवाई है सिर्फ कागजों तक सीमट कर रह गया है।
उन्होंने छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र सरकार के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह राज्य के पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी की गई है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र राज्य में भी पत्रकार उत्पीड़न के मामले बड़े तेजी से दिखाई दे रहे हैं जिस पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को दोनों राज्यों में लागू किया गया है उसका कोई असर नहीं है उससे संबंधित किसी भी प्रकार की कार्रवाई शोषकों के खिलाफ नहीं होती।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को रुकना नहीं है अपने अधिकार सम्मान सुरक्षा से संबंधित ज्ञापन पत्र को महामहिम राष्ट्रपति महोदया जी के नाम जो संबोधित है उसे हर हाल में देकर अपनी आवाज को बुलंद करना है और आने वाले दिनों में हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे न्याय की मांग करेंगे।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बालकृष्ण तिवारी ने कहा कि प्रेस परिषद अधिनियम 1978 की धारा 13 के तहत पत्रकार उत्पीड़न के मामलों से संबंधित आज तक छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में किसी भी प्रकार का कोई कार्रवाई नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 19 -1-ए में दी गई धारा के अंतर्गत पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा लेकिन उपरोक्त राज्यों में आए दिन पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का शोषण सरकारी दफ्तरों में होता है पुलिस थानों में होता है इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होती इसलिए भारतीय मीडिया फाउंडेशन का सीधा आरोप है कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्य में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ वहां की सरकारों ने छलावा किया है धोखा दिया है इस मामले को हम लोग सर्वोच्च न्यायालय तक उठाने का काम करेंगे।
जब से उपरोक्त राज्यों में पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू करने की बात की जा रही है तब से अब तक कितने पत्रकारों को न्याय दिया गया है कितने पत्रकारों के साथ हुए शोषण पर कार्रवाई हुई है इसकी पूरी समीक्षा की जाएगी।