भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने औद्योगिक महा क्रांति के महानायक टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय रतन टाटा को दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के औद्योगिक महा क्रांति के महानायक स्वर्गीय रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित की भारतीय मीडिया फाउंडेशन पॉलिसी मेकिंग सुप्रीम कमेटी के केंद्रीय अध्यक्ष करन छौकर ने कहा कि जब तक सूरज चांद रहेगा रतन टाटा जी का नाम रहेगा ।
रतन टाटा, एक ऐसा नाम जो भारत की औद्योगिक और सामाजिक प्रगति में अपने अतुलनीय योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा। वह न केवल एक सफल उद्योगपति थे, बल्कि उनकी सोच और नेतृत्व ने भारतीय उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष के रूप में, रतन टाटा ने कंपनी को एक वैश्विक पहचान दिलाई और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गर्व का विषय बनाया।

भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार , राष्ट्रीय चेयरमैन संजय कुमार मौर्य, जॉइंट राष्ट्रीय चेयरमैन मोहम्मद आसिफ अंसारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष बालकृष्ण तिवारी, जॉइंट राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र वाघ, केंद्रीय अनुशासन समिति के केंद्रीय अध्यक्ष राम आसरे , केंद्रीय जनरल असेंबली के केंद्रीय अध्यक्ष अविनाश रंजन, केंद्रीय सलाहकार परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष कृष्ण माधव मिश्रा, राष्ट्रीय प्रवक्ता कृष्णकांत जायसवाल, केंद्रीय मैनेजमेंट अफेयर्स कमेटी के केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविकांत साहू शाहिद भारती मीडिया फाउंडेशन के समस्त मीडिया अधिकारियों ने श्रद्धांजलि करते हुए ने कहा कि रतन टाटा के योगदान को केवल व्यावसायिक सीमाओं में बांधना अनुचित होगा। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया:

  1. उद्योग और आर्थिक प्रगति: रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल भारतीय उद्योग को सुदृढ़ किया, बल्कि रोजगार के लाखों अवसर भी प्रदान किए। टाटा मोटर्स ने नैनो जैसी किफायती कार को लॉन्च किया, जो आम भारतीयों के लिए अपनी कार रखने का सपना पूरा करने का एक बड़ा प्रयास था। उनके कार्यकाल में टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा मोटर्स ने वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बनाई।
  2. समाज सेवा और परोपकार: रतन टाटा का नाम परोपकार के क्षेत्र में भी अग्रणी था। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। टाटा ट्रस्ट्स के जरिए उन्होंने गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और स्वच्छ पेयजल जैसी सुविधाएं मुहैया कराई। उनकी उदारता और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रमाण कोविड-19 महामारी के दौरान भी देखने को मिला, जब उन्होंने बड़ी आर्थिक मदद प्रदान की।
  3. शिक्षा और नवाचार: रतन टाटा हमेशा से ही शिक्षा और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने में विश्वास रखते थे। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs), भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIMs) और अन्य प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में बड़े योगदान दिए। उनका मानना था कि देश की प्रगति के लिए युवा शक्ति और उनके विचारों को संवारना आवश्यक है, और इसी दिशा में उन्होंने छात्रों और युवाओं के लिए स्कॉलरशिप और अन्य सुविधाओं की शुरुआत की।
  4. भारतीय स्टार्टअप्स को सहयोग: रतन टाटा ने भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश कर नए उद्यमियों को बढ़ावा दिया। उनकी सोच और दृष्टिकोण ने कई भारतीय स्टार्टअप्स को सफल बनाने में मदद की है, जिससे देश में नवाचार और उद्यमिता को मजबूती मिली है।
  5. नैतिक नेतृत्व: रतन टाटा न केवल अपने व्यापारिक सफलता के लिए बल्कि अपने उच्च नैतिक मूल्यों और मानवीय दृष्टिकोण के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने सदैव एक नैतिक व्यापार का पक्ष लिया, और अपनी सादगी, ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ भारत के उद्योग जगत में एक उच्च मानक स्थापित किया।

रतन टाटा के ये योगदान न केवल भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं, बल्कि हमें यह सिखाते हैं कि सच्चा नेतृत्व केवल मुनाफे पर नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के विकास पर आधारित होना चाहिए।

लेकिन आज, जब हम उनकी अनुपस्थिति में खड़े हैं, तो एक गहरा खालीपन महसूस होता है। रतन टाटा न केवल एक महान उद्योगपति थे, बल्कि वे भारत के हर नागरिक के दिल में विशेष स्थान रखते थे। उनका सरल स्वभाव, उनके विनम्र शब्द और उनकी सामाजिक जिम्मेदारी की भावना हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

उन्होंने हमें यह सिखाया कि व्यापार केवल लाभ कमाने का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज की सेवा का एक मंच हो सकता है। आज, जब वे हमारे बीच नहीं हैं, उनकी विरासत, उनके विचार और उनका योगदान सदा हमारे साथ रहेगा।

भारत ने न केवल एक महान उद्योगपति खोया है, बल्कि एक ऐसे नेता को खोया है जो हर दिल के करीब था। उनकी यादें और उनके द्वारा किए गए महान कार्य हमारे जीवन को दिशा देते रहेंगे। उनका जाना एक युग के अंत जैसा है, लेकिन उनकी शिक्षाएं, उनके विचार और उनका आदर्श हमें आगे बढ़ने का हौसला देंगे।

रतन टाटा जी, आप सदा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे। आपकी विरासत अमर है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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