श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुनवाई 22 फरवरी को

प्रयागराज :: इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा के भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव व सात अन्य की ओर से दाखिल दीवानी मुकदमों की पोषणीयता को लेकर शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की अर्जी पर 22 फरवरी को सुनवाई करेगा।

कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस में सीपीसी के आदेश एक नियम आठ की अर्जी दोबारा दाखिल करने की छूट के साथ वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने कहा कि आगे समय नहीं दिया जाएगा।

कोर्ट ने भगवान श्रीकृष्ण (ठाकुर केशव देव जी महाराज) विराजमान सिविल वाद संख्या 17/23 की प्रार्थना संशोधित करने की अर्जी स्वीकार कर ली है और आदेश एक नियम आठ की अर्जी पर दूसरे पक्ष से आपत्ति मांगी है। इस मामले की सुनवाई 23 फरवरी को होगी।

मंगलवार को मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रभाष पांडेय, प्रदीप शर्मा, हरिशंकर जैन, टीना एन सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह, अजय कुमार सिंह व तेजस सिंह, मस्जिद पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वजाहत हुसैन, सुन्नी सेंट्रल बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने तर्क प्रस्तुत किए।

सुनवाई शुरू होते ही एमिकस क्यूरी मनीष गोयल व आकांक्षा शर्मा ने वाद की पोषणीयता की प्रारंभिक आपत्ति अर्जी की वैधानिकता तय करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी वादों को कंसोलिडेटेड करने के बाद भी सभी पक्षकार जिस तरह अर्जियां दाखिल कर पक्ष रख रहे हैं, उससे मूल वाद की सुनवाई होना कठिन है। मूल वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान का है, जो देवता हैं।उनका विधिक व्यक्तित्व है इसलिए कोर्ट उनका संरक्षक नियुक्त कर मुकदमे की सुनवाई करे। मनीष गोयल ने कहा कि ऐसा करने का कोर्ट को पूरा अधिकार है। यह वादी व कोर्ट के बीच का मामला है। विरोधी पक्ष को कोई सरोकार नहीं है। न्यायालय अपने विवेक से किसी को भी वादी भगवान का संरक्षक नियुक्त कर सकती है। मनीष गोयल ने कहा कि वह सिविल वाद का शीघ्र निराकरण चाहते हैं।इस तरह सभी वादों में अर्जियां दाखिल कर सुनवाई होती रही तो मूल वाद की सुनवाई शुरू नहीं हो सकेगी। कुछ वादियों के वकीलों ने इस पर आपत्ति की। कहा कि किसे संरक्षक नियुक्त किया जाएगा, उसका नाम जानने का सभी को अधिकार है। मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें भी आपत्ति दाखिल कर सुनवाई का कानूनी अधिकार है।

कोर्ट ने कहा कि 13 मुकदमों की प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत पोषणीयता पर सीपीसी के आदेश सात नियम 11 की अर्जी दी गई है। इनमें सिविल वाद निरस्त करने की मांग की गई है। अन्य चार मुकदमों की पोषणीयता पर आपत्ति नहीं की गई है। कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को 13 फरवरी तक का समय दिया है और कहा है कि आगे समय नहीं दिया जाएगा।

About The Author

पं.सत्यम शर्मा

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks