अधिवक्ताओं ने हिट & रन कानून पर पुर्नविचार व संसोधन के लिए राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

अधिवक्ताओं ने हिट & रन कानून पर पुर्नविचार व संसोधन के लिए राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन ।

हिट एंड रन नये संसोधित कानून पर पुनर्विचार के लिए राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा अधिवक्ताओं ने भेजा ज्ञापन ।

राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन ,हिट एंड रन कानून जनहित में न होने पर पुनर्विचार व संशोधन की मांग।।

मैनपुरी केंद्र सरकार द्वारा लाये गए ‘हिट एंड रन कानून ‘को लेकर नेशनल एडवोकेट ऑर्गनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा के निर्देशानुसार बैठक आयोजित की गई जिसमे उत्तर प्रदेश आई ए ओ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेन्द्र सिंह कटारिया व जिला अध्यक्ष ब्रजेन्द्र यादव द्वारा सड़क हादसों पर नियंत्रण करने के लिए संशोधित कानून में जो बदलाव किए हैं उस पर पुनर्विचार व संशोधन के लिए महामहिम राष्ट्रपति व माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा हैं
जिसमे कहा गया हैं कि यह संशोधित कानून सभी वाहन चालकों को प्रभावित करेगा जिसमे दोपहिया , तीन पहिया , चार पहिया , व भारी वाहन सभी शामिल हैं इस नए कानून के अनुसार वाहन चालक को 10 साल की सजा व सात लाख रु जुर्माना का प्रावधान किया गया हैं इसलिए यह भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत हिट एंड रन के मामलों पर प्रस्तवित कानून कठोर होने के कारण देश व जनहित में नही हैं क्योंकि की देश के सभी घरों में कोई न कोई वाहन होते है चाहे व दो पहिया या चार पहिया वाहन हो इसका अर्थ हुआ कि हर घर मे वाहन चालक हैं और कोई भी वाहन चालक जानबूझकर कर कोई दुर्घटना नही करता है वह हमेशा दुर्घटना का बचाता हैं नये संशोधन कानून में वाहन चालक दुर्घटना करके भागने पर अधिक सजा व जुर्माना का प्रावधान किया है जो उचित नही है इसलिए इस नए संशोधित हिट एंड रन कानून पर पुर्विचार व संशोधन के लिए ज्ञापन ईमेल व रजिस्टर्ड डाक से भेजा हैं एडवोकेट देवेन्द्र सिंह कटारिया ने कहा कि देश मे एक्सीडेंट इंवेष्टिगेशन प्रोटोकॉल का आभाव हैं इसके कारण मामले में निष्पक्ष जांच नही हो पाती हैं और वाहन चालक को दोषी करार दिया जाता हैं दुर्घटना स्थल से भागने की किसी ड्राइवर की मंशा नहीं होती है लेकिन आसपास भीड जमा होने से बचने के लिए वह ऐसा करता है ओमप्रकाश कठेरिया एडवोकेट के कहा कि हिट एंड रन मामले में आईपीसी की धारा 279 लापरवाही से वाहन चलाना ,304 ए लापरवाही के कारण मौत, एवं 338 जान जोखिम में डालना के तहत केस दर्ज किया जाता है इसमें 2 साल की सजा का प्रावधान था विशेष केस में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ दी जाती है अब नए संशोधन कानून क्षेत्र 104 (एक) और 104(2 )के तहत हिट एंड रन की घटना के बाद यदि कोई आरोपी घटना स्थल से भाग जाता है और पुलिस एवं मजिस्ट्रेट को सूचित नहीं करता है तो उसे 10 साल की सजा और 7 लाख जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है जो कि जन हित मे नही है एडवोकेट ब्रजेन्द्र यादव ने बताया कि अभी तक हिट हिट एंड रन मामले में ड्राइवर को थाने से ही जमानत मिल जाती थी इसके अलावा इस अपराध में 2 साल की सजा का प्रावधान था यह संशोधित कानून में कई खामियां बताई गई जिसमें कहा गया की जनता का एवं देश के ट्रांसपोर्टर एवं वाहन चालकों का सुझाव नहीं लिया गया कोरोना जैसी महावारी में इन्ही वाहन चालकों ने अपनी जान जोखिम में डालकर देश की व्यवस्था संभाली थी कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान रोड ट्रांसपोर्टर ड्राइवर का है एडवोकेट राधा कृष्ण शाक्य ने बताया कि वाहन चालक कोई भी हो चाहे छोटी गाड़ी का हो ओर बड़ी गाड़ी का सभी इस कानून के दायरे में आएंगे संशोधित कानून के अनुसार गाड़ी मालिक पर कोई जिम्मेदार नहीं होगी सारी जिम्मेदारी गाड़ी के वाहन चालक की होगी आकांक्षा दुबे एडवोकेट ने कहा केंद्र सरकार का उद्देश्य सड़क दुर्घटना में कमी लाकर यात्रा को सुरक्षित बनाना है दुर्घटना होने पर हमेशा बड़े वाहन चालक की गलती मानी जाती है और विवेचना हमेशा छोटी गाड़ी वाले के पक्ष में जाती है अगर उसमें छोटी गाड़ी चलाने वाले की जान चली गई तो फिर बड़ी गाड़ी वाला पक्का दोषी सिद्ध हो जाता है हिट एंड रन कानून के संशोधन से पूर्व दुनिया भर के कानून का अध्ययन किया गया और पाया कि जहां एक्सीडेंट से जुड़े कठोर कानून ने वहां एक्सीडेंट कम हो रहे हैं क्योंकि वाहन चालक अधिक सावधानी से गाड़ी चला रहे हैं और सड़क के नियमों का पालन कर रहे हैं यूरोप व अमेरिका की यदि तुलना में भारत में जो बड़ा विरोधाभास है वहां दो पहिया वाहन चालकों की संख्या भारत में कुल 32 से 33 करोड़ के बीच सड़क वाहन सड़कों पर है जिसमें से तीन चौथाई दो पहिया वाहन है भारत दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश ही नहीं बल्कि सबसे अधिक दो पहिया वाला देश भी है इसलिए सबसे अधिक सड़क दुर्घटना का शिकार की दो पहिया बनी होती हैं इसके अलावा बड़े ट्रक को बसों की चपेट में चार पहिया वाहन भी आते हैं दुनिया भर की सड़कों पर जितने एक्सीडेंट होते हैं उसे अकेले 11% भारत में होते हैं 2022 में 4:30 लाख से अधिक सड़क दुर्घटना हुई है इसमें 160000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवाही है इतने लोग सड़क हादसे में मार जाए तो निश्चित रूप से सरकार को चौकन्ना होने की जरूरत होती है सरकार के पास नियम बनाने का अधिकार होता है और नई न्याय संहिता में हिट एंड मामले में कठोर सजा का प्रावधान करके ड्राइवर को सचेत देखा गाड़ी चलाने का संदेश दिया है पहले कानून के हिसाब से दुर्घटना होने पर चालक के अपराध सिद्ध होने पर ही सजा का प्रावधान था साथ ही मृतक परिवार को इंश्योरेंस कंपनियों से मुआवजा देती थी जिससे गरीब चालक का कोई वित्त भर नहीं पड़ता था लेकिन और डर के कारण पहले ही समझौता हो जाया करेगा केस दर्ज ही नहीं होगा जिसके कारण इंश्योरेंस कंपनी मुआवजा देने से बच जाएंगे आकांक्षा दुबे सुशील शाह की राधा कृष्ण शाक्य अमित कठेरिया सुनील कुमार मोहम्मद हाशिम व कई अधिवक्ता शामिल थे। वाहन दुर्घटना पर चालक के अलावा अन्य को भी जिम्मेदार माना इसमें सबसे पहले बिना जांच किया बिना यातायात के नियमों का ज्ञान हुए मात्र दलाल के द्वारा के माध्यम से लाइसेंस दिया जाता है
सड़कों का ठीक से रख रखाव ना होना
सड़कों पर यातायात के चिन्ह और नियमों का ना होना भी शामिल है
सड़कों पर अतिक्रमण ,सड़कों पर आवारा पशु ,वाहन चालकों को मोबाइल पर बात करना ,वाहन चालकों की आंखों की जांच ना होना ,
ऐसे कई कारण सड़क दुर्घटना के मुख्य कारण भी है

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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