मां भवानी का अनोखा दरबार गड़िया घाट माता मंदिर शाजापुर:यहां पानी से जलती दीपक की ज्योत……….

मध्य प्रदेश में मां भवानी का अनोखा दरबार गड़िया घाट माता मंदिर शाजापुर:यहां पानी से जलती दीपक की ज्योत……….

मध्य प्रदेश में घूमने के लिए एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है और यहां कई सारे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जिनकी सैर की जा सकती है। अगर आप भी मध्य प्रदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपको यहां के शाजापुर में स्थित एक चमत्कारी मंदिर के दर्शन जरूर करना चाहिए । मध्य प्रदेश को हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है और यहां एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक और धार्मिक जगह मौजूद है l यहां कुछ ऐसे स्थान मौजूद है, जो अपने रहस्य और खासियत की वजह से पहचाने जाते हैं। आज हम आपको जिस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं वहां की खासियत जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे क्योंकि यहां जो होता है उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है।
गड़िया घाट माता मंदिर
मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक ऐसा मंदिर स्थित है, जो अपनी खासियत की वजह से प्रदेश भर में पहचान रखता है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इस मंदिर में तेल या घी से नहीं बल्कि पानी से दीपक जलता है। गड़ियाघाट वाली माता जी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में पिछले 5 सालों से एक ही ज्योत जलती चली आ रही है। इस महा ज्योत के जलने की सबसे बड़ी खासियत इसका पानी से प्रज्वलित होना है।
पंडित को माता ने दिए दर्शन
इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि ज्योत को जलाने के लिए किसी भी तरह के घी, तेल, ईधन, मोम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ये पूरी तरह से पानी से जलती है। पुजारी ने बताया कि पहले यहां पर तेल का ही दीपक जलता था लेकिन 5 साल पहले उन्हें स्वप्न में माता ने दर्शन दिए और पानी से दीपक जलाने को कहा। माता का आदेश मानते हुए पुजारी ने भी वही किया जो उन्होंने करने को कहा था।
कालीसिंध नदी के पानी से जलती है ज्योत
माता के स्वप्न में दिए गए आदेश को मानते हुए पुजारी में सुबह उठने के बाद मंदिर के पास बहने वाली काली सिंध नदी का पानी दिया और दीपक की ज्योत जलाई। हैरानी तो तब हुई जब पानी का यह दीपक जलने लगा और देखते ही देखते बात ग्रामीणों में फैल गई और सभी हैरान हो गए कि आखिरकार ये कैसे हो रहा है और आखिर में सभी ने इसे माता का चमत्कार माना और ये जगह बहुत प्रसिद्ध हो गई।
बरसात में नहीं जलता दीपक
इस मंदिर में बरसात के दिनों में दीपक नहीं जलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक कालीसिंध नदी के तट पर मौजूद है और बारिश में नदी का जलस्तर बढ़ने पर यह मंदिर डूब जाता है। जिस वजह से यहां दीपक नहीं जल पाता है। हालांकि, बारिश खत्म होते ही यहां फिर से दीप जला दिया जाता है जो अगली बरसात तक जलता रहता है।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks