MP में गंगा जमना स्कूल की मान्यता निलंबित, नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई, हिंदू छात्राओं को कथित हिजाब पहनाने पर छिड़ा था विवाद

MP में गंगा जमना स्कूल की मान्यता निलंबित, नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई, हिंदू छात्राओं को कथित हिजाब पहनाने पर छिड़ा था विवाद

मध्यप्रदेश के दमोह के गंगा जमना हायर सेकेंडरी स्कूल में हिंदू छात्राओं को कथित हिजाब पहनाने को लेकर हुए विवाद के बाद स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई है। मान्यता नियमों का उल्लंघन करने पर ये कार्रवाई की गई है। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सहायक सागर संभाग ने इसके आदेश जारी किए है। हालांकि इससे पहले स्कूल प्रबंधन अपने फैसले से पीछे हटा। उसने यूनिफॉर्म के साथ पहना जाने वाला स्कार्फ स्वैच्छिक बताया था। स्कूल प्रबंधन ने आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भी भेजा था।

इधर छतरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोई भी प्राइवेट स्कूल अपनी मनमर्जी से ड्रेस कोड लागू नहीं कर सकता है। स्कार्फ बांधों या कोई ऐसी कविता गाओ, जिसका भारत की भूमि से कोई संबंध नहीं है, तो यह नहीं चलेगा। ऐसे स्कूल पर हमने जांच के निर्देश दिए हैं। जैसा दमोह के स्कूल में कुछ भी बांधकर आओ चल रहा था। यह मध्यप्रदेश में नहीं चलेगा। संस्कार देने वाली और सही दिशा देने वाली शिक्षा ही यहां चलेगी।

आज सुबह गंगा जमना स्कूल के डायरेक्टर हाजी मुस्ताक खान ने पत्रकारों को बताया कि 2010 में स्कूल की स्थापना हुई थी। हमारा उद्देश्य बच्चों को उत्तम शिक्षा देना है। इस साल हमारे बच्चे काफी अच्छे नंबरों से पास हुए हैं, इसलिए उनका एक फ्लैक्स बनाकर बधाई देने के लिए लगाया गया था। फ्लैक्स को लेकर कुछ लोगों को आपत्ति है। फ्लैक्स में लगी फोटो को लेकर अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो हमें उसके लिए खेद है।

मामले को लेकर आज राज्य बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह और मेघा पवार स्कूल पहुंचे और बच्चों को स्कार्फ पहनाने का कारण पूछा। इस पर स्कूल प्रिंसिपल अफसा शेख ने जवाब देते हुए कहा कि अभी तक किसी ने आपत्ति नहीं दर्ज कराई है। यह सुनते ही आयोग अध्यक्ष ने नाराज हो गए और कहा कि किसी ने आपत्ति नहीं दर्ज कराई तो क्या बुर्का पहना देंगे। बाद में उन्होंने स्कूल डायरेक्टर इदरीश खान से जवाब मांगा। इस पर उन्होंने कहा कि यह स्कूल का ड्रेस कोड है। इसके जवाब में उन्होंने कहा हिंदू धर्म में कहीं भी बच्चियों का सिर ढंकने की परंपरा नहीं है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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