दुनिया में सबसे सख्त लॉकडाउन भारत में था, लेकिन………

दुनिया में सबसे सख्त लॉकडाउन भारत में था, लेकिन………

देश में कोरोना मरीजों की संख्या का आंकड़ा 10 लाख के ऊपर पहुंच गया है। सिर्फ 5 महीने और 16 दिन में भारत में कोरोना मरीजों की संख्या 1 से 10 लाख तक पहुंच गई। पहला मामला 30 जनवरी को आया था। कोरोनावायरस को रोकने के लिए देश में दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन भी लगा था। ये हम नहीं कह रहे, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का डेटा कह रहा है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामलों की स्टडी करने के लिए ऑक्सफोर्ड कोविड-19 गवर्नमेंट रिस्पॉन्स ट्रैकर बनाया है। इस ट्रैकर में 17 अलग-अलग पहलुओं के आधार पर रेटिंग की गई थी। इसके मुताबिक, भारत में जितना सख्त लॉकडाउन लागू किया था, उतनी सख्ती दुनिया के किसी देश में नहीं दिखाई गई।

लॉकडाउन में सरकार की तरफ से हुई गलती

  1. लॉकडाउन का सही इस्तेमाल नहीं हुआ, टेस्टिंग पर फोकस नहीं

कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन तो लगा दिया, लेकिन उसका सही इस्तेमाल नहीं हो सका। दूसरे देशों में लॉकडाउन का इस्तेमाल टेस्टिंग करने के लिए किया गया। चीन ने तो वुहान में बाद में 10 दिन का लॉकडाउन इसीलिए लगाया, ताकि वहां की सारी आबादी की टेस्टिंग कर सके। इसके उलट भारत में ऐसा नहीं हुआ। टेस्ट सिर्फ उन्हीं का हुआ, जो खुद से टेस्ट कराने गए या संदिग्ध थे।

  1. पता नहीं था प्रवासी मजदूर सड़कों पर निकल जाएंगे

मोदी सरकार ने 25 मार्च से देश में टोटल लॉकडाउन लगा दिया। उससे तीन दिन पहले से ही ट्रेनें भी बंद कर दी थीं। लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया, तो मजदूरों की कमाई भी बंद हो गई। जब देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन लगा, तो उसके बाद देश के कई हिस्सों से प्रवासी मजदूर अपने राज्य लौटने लगे। इसका नतीजा ये हुआ कि लॉकडाउन लगने के 5 दिन बाद ही 29-30 मार्च को दिल्ली के आनंद विहार बस टर्मिनल में 15 हजार मजदूर इकट्ठे हो गए। बाद में इस भीड़ को प्राइवेट बसों और डीटीसी की बसों से उनके गांव तक पहुंचाया गया।

  1. श्रमिक स्पेशल ट्रेनें निकालीं, कोरोना के मामले बढ़े

एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, 1918 में जब देश में स्पैनिश फ्लू फैला था, तब भी इस फ्लू को फैलाने में रेलवे की अहम भूमिका रही थी। 1 मई से मोदी सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें शुरू कीं। इसका नतीजा ये हुआ कि कई राज्यों में कोरोना के मामले अचानक बढ़ गए। इसका एक उदाहरण गोवा भी है। गोवा 19 अप्रैल को कोविड फ्री घोषित हो गया था। लेकिन, जब ट्रेनें चलनी शुरू हुईं, तो गोवा में मामले बढ़ गए। वहां के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने भी कहा था कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले मजदूरों की वजह से राज्य में कोरोना के मामले फिर बढ़ गए।

  1. केस बढ़ रहे थे, शराब की दुकानें खोल दीं

देश में जब लॉकडाउन-3 लागू हुआ, तो उसके साथ पहले से ज्यादा रियायतें भी मिलने लगीं। सरकार ने लॉकडाउन-3 में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी। नतीजा ये हुआ कि देशभर में शराब की दुकानों पर भीड़ जमा होने लगी। बढ़ती भीड़ को देखते हुए दिल्ली सरकार ने तो शराब की कीमत ही 70% बढ़ा दी। जबकि, महाराष्ट्र में शराब की होम डिलीवरी होने लगी।

जानकारों की मानें तो 6 तरीके, जिनसे कोरोना को कंट्रोल कर सकते हैंः

1- हाई-रिस्क जोन में वार्ड लेवल तक टेस्टिंग।

2- कोरोना से निपटने में केंद्र राज्यों की मदद करे।

3- छोटे शहरों और गांवों तक टेस्टिंग लैब बने।

4 – एंटीजन टेस्टिंग भी बढ़ाई जाए, ताकि पता चले कि कोई पहले कोरोना से संक्रमित तो नहीं था।

5- प्राइवेट लैब्स में कोरोना टेस्ट की कीमत को कम किया जाए, ताकि सब टेस्ट करा सकें।

6 – पब्लिक प्लेस में मास्क पहनना जरूरी और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने पर सख्ती हो।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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