देश के अन्नदाता किसानों की बदहाली पर ध्यान दे सरकार- राजू आर्य

देश के अन्नदाता किसानों की बदहाली पर ध्यान दे सरकार- राजू आर्य

● 25 सालों में 3.5 लाख किसान कर चुके हैं आत्महत्या।

●5 लाख किसान प्रतिवर्ष कृषि छोड़ नौकरी की तरफ कर रहे हैं रुख।

एटा।जनवादी पत्रकार संघ के प्रदेश प्रभारी, भारतीय गौरक्षा वाहिनी के अध्यक्ष ब्रजप्रान्त रंजीत कुमार उर्फ राजू आर्य ने कहा कि वर्तमान में देश के किसानों की स्तिथि बहुत दयनीय हो चुकी है, किसान गरीबी के कारण तिल-तिल कर अपना जीवन जैसे तैसे काट रहे हैं, और जीवन की कठिन परिस्थितियों से जंग लड़ते हुए आत्महत्या जैसा भयानक और दुखदायी कदम उठाने में भी नही घबरा रहे हैं।
आर्य ने बताया कि किसानों की प्रमुख समस्याएं- न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ न मिल पाना, बिचौलियाें की मदद से उत्पाद बेचना और सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाना है। दरअसल, नीति आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2015-16 से 2018-19 के दौरान कृषि संबंधी आय में सालाना सिर्फ 0.6 प्रतिशत की बढ़ाेतरी हुई है। किसान अपना उत्पाद कम दामों में बेचते हैं जिसे उपभोक्ताओं द्वारा ऊंची कीमतों में खरीदा जाता है। सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे किसानों को भी उचित दाम मिल सके और उत्पाद उपभोक्ताओं को भी बहुत अधिक दामों पर न मिले। ऐसी सुविधा हो जाने से किसान और उपभोक्ता दोनों ही वर्गों को सहूलियत हो जायेगी।
आर्य ने कहा कि आज़ादी के समय से ही किसान बदहाल बना हुआ है। भारत कृषि प्रधान देश है उसके बावजूद भी 70 वर्षों में देश के किसानों की हालत में सुधार का वादा करने वाली तमाम सरकारों और नेताओं ने किसानों के लिए नई नीतियां और सुविधाएं लागू करने के बड़े बड़े वादे कर सरकारें तो बनाई, किन्तु अपनी हालत सुधारने और संपत्ति बढ़ाने के सिवा किसानों की हालत में सुधार लाने का कोई कार्य नही किया गया। 2017 में किसानों की कर्ज़ माफी के नाम पर भी उत्तर प्रदेश में 10₹ और 20₹ का कर्ज माफ करने के सैकड़ों मामले सामने आए थे। आज देश का किसान औसतन 3080 रु. प्रतिमाह कमा पा रहा है। 3320 रु. प्रतिमाह आय इन्हें पशु पालन जैसे गैर कृषि कार्यों से होती है। इस तरह औसत 6400 रुपए बनते हैं। 2 साल में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 18% की बढ़ोत्तरी दर होनी चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा था कि 2022 तक देश के प्रत्येक किसान की आय दोगुनी हो जाएगी जो कि वर्तमान स्तिथि को देखते हुए दूर की कौड़ी मालूम पड़ती है।
आर्य ने बताया कि आंकड़ों की मानें तो गलत नीतियों और खराब व्यवस्थाओं के कारण गरीबी का दंश झेल रहे 3.5 लाख किसान पिछले 25 सालों में आत्महत्या कर मौत को गले लगा चुके हैं। कृषि से गुज़र बसर न हो पाने के कारण प्रतिवर्ष करीब 5 लाख किसान खेती छोड़ कंपनियों में नौकरी करने की तरफ रुख कर रहे हैं। जिससे देश की कृषि उत्पादन क्षमता भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
आर्य ने कहा कि वर्तमान देश के किसानों की स्तिथि बहुत ही दयनीय और विचारणीय है। सरकार को जल्द ही ऐसी व्यवस्थाएं और नीतियां बनानी चाहिए, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का वाजिब दाम मिल सके और किसानों की आर्थिक स्तिथि में सुधार हो।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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