एटा में सरकार द्वारा बनायी गईं व्यवस्थाएं ध्वस्त
प्रशासनिक अधिकारियों की नजर में मान्यता प्राप्त और सक्रिय पत्रकारों की कोई अहमियत नहीं

पत्रकारों के अधिकारों का किया जा रहा है अतिक्रमण।
-प्रशासन द्वारा मान्यता प्राप्त और सक्रिय पत्रकारों को किसी भी कार्यक्रम और प्रेस वार्ता की नहीं दी जाती सूचना।
-राष्ट्रीय पर्वों पर पुलिस विभाग द्वारा आमंत्रण कार्ड देकर पत्रकारों को बुलाया जाना हुआ बंद।
-प्रदर्शनी के कार्यक्रमों का विवरण/आमंत्रण कार्ड और कार्यक्रमों के पास देने पर भी लगा ग्रहण।
-प्रदर्शनी कार्ड और कार्यक्रम पास के मुद्रण में किए होंगे लाखों खर्च लेकिन उन्हें नहीं दिए गये जो इसके हकदार थे।
-मदन गोपाल शर्मा
एटा। हर दिन स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रेस मान्यता प्राप्त पत्रकारों और सक्रिय पत्रकारों के अधिकारों का हनन हो रहा है लेकिन सारी पत्रकार जमात मौन है? सब एक दूसरे का मुँह ताक रहे हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा?
सरकार द्वारा प्रत्येक जिलों में होने वाले कार्यक्रमों की कवरेज करने के लिए मान्यता प्राप्त पत्रकारों की व्यवस्था की गई है जिन्हें शासन द्वारा कुछ सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। कार्यक्रमों की कवरेज में सक्रिय पत्रकार भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करते हैं। जो स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रचार-प्रसार में काफी सहायक होते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पत्रकारों को सूचनाएं प्रदान करना कोई खैरात नहीं है बल्कि जनता के हितों के लिए योजनाओं का प्रचार-प्रसार विज्ञापनों और समाचारों के माध्यम से कराया जाना, जनता का तो अधिकार है ही लेकिन वही अधिकार पत्रकारों का इसलिए है क्योंकि प्रचार-प्रसार का यह कार्य उनके द्वारा ही किया जाना है।
विगत कुछ वर्षों से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने इन योजनाओं की जानकारी देने के लिए पत्रकारों को बुलाए जाने की प्रथा को बंद कर दिया है जिसके कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। या यों कहें कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की शह पर पत्रकारों के हितों पर ग्रहण लगाकर भ्रष्टाचार के कार्य सम्पन्न किए जा रहे हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जनपद एटा का सूचना विभाग विगत 8-10 वर्षों से निष्क्रिय बना हुआ है जिसका कारण है तैनात अपर जिला सूचना अधिकारी की जिलाधिकारी द्वारा अनदेखी किया जाना। अपर जिला सूचना अधिकारी की इस अनदेखी के कारण ही पत्रकारों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है वहीं उनके अधिकारों पर भी प्रशासन द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है।
अपर जिला सूचना अधिकारी अपने कार्यालय में बैठता है या नहीं, वह जिलाधिकारी की कवरेज के लिए कार्यक्रम में आता है या नहीं किसी को नहीं मालूम, यह सब रामभरोसे चल रहा है। आखिर अपर जिला सूचना अधिकारी को वेतन क्यों दिया जा रहा है?
अपर जिला सूचना अधिकारी के न होने से पत्रकार स्थाई समिति न बनना, समाचार पत्रों के घोषणा पत्रों के भरे जाने, प्रेस मान्यता प्राप्त पत्रकारों के आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए प्रारूप उपलब्ध कराने, पत्रकारों को पेंशन योजना का लाभ दिये जाने हेतु, कुछ पत्रकार घोषणा पत्र बदलना चाहते हैं उसमें प्रभारी अधिकारी प्रेस और अपर जिला सूचना अधिकारी की निरंतर अनुपस्थिति और अनभिज्ञता बाधक बनी हुई है।
प्रदर्शनी के कार्यक्रमों का विवरण कार्ड/आमंत्रण कार्ड जिला सूचना अधिकारी के माध्यम से ही प्रतिवर्ष उपलब्ध कराये जाते थे लेकिन विगत 4-5 वर्षों से यह प्रक्रिया प्रदर्शनी के जिम्मेदार अधिकारियों/ कर्मचारियों ने बंद कर दी है। हजारों कार्ड और कार्यक्रम पास जो मान्यता प्राप्त/सक्रिय पत्रकारों और सम्भ्रांत नागरिकों तक पहुंचाये जाने चाहिए। कलेक्ट्रेट के बाबुओं द्वारा कार्डों को तिजोरी में बंदकर प्रदर्शनी के बाद कूड़े में फेंककर उनकी उपयोगिता समाप्त कर दी जाती है।