ज़मानत देने में निचली अदालतों को हतोत्साहित करता है’: सुप्रीम कोर्ट ने सेशन कोर्ट के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणी को किया खारिज

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ज़मानत देने में निचली अदालतों को हतोत्साहित करता है’: सुप्रीम कोर्ट ने सेशन कोर्ट के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणी को किया खारिज

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🟧 सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निचली अदालत के एक न्यायाधीश के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को खारिज कर दिया, जिन्होंने जमानत आदेश पारित किया था।

🟪 जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, “इस तरह का दृष्टिकोण जो निचली अदालतों को ज़मानत देने में हतोत्साहित करता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय और इस अदालत के सामने बड़ी संख्या में मुकदमेबाजी होती है।

⬛जमानत रद्द करने की मांग वाली एक अर्जी पर विचार करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा था कि सत्र न्यायाधीश ने अभियुक्त की ओर से दायर पहली जमानत अर्जी को मैरिट के आधार पर खारिज कर दिया और 20 दिनों के अंतराल के बाद, दूसरी जमानत अर्जी को इस आधार पर अनुमति दी गई कि जांच के बाद, धारा 302 आईपीसी की जगह आईपीसी की धारा 304 के तहत अपराध पाया गया।

अदालत ने आगे कहा

🟫कि उस समय, जांच अधिकारी ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट जमा नहीं की थी और परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। उच्च न्यायालय ने आदेश में न्यायाधीश के खिलाफ कुछ प्रतिकूल टिप्पणी की और प्रशासनिक पक्ष में सत्र न्यायाधीश के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए रजिस्ट्री को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का भी निर्देश दिया।

🟩आदेश में की गई ऐसी प्रतिकूल टिप्पणियों को चुनौती देते हुए जमानत आदेश पारित करने वाले सत्र न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

पीठ ने कहा,

🟦”हमारे विचार में, दिए गए परिदृश्य में टिप्पणियों की आवश्यकता नहीं है और वास्तव में यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो ट्रायल कोर्ट को जमानत देने में हतोत्साहित करता है जिसके परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय और इस न्यायालय के समक्ष मुकदमेबाजी की भारी मात्रा होती है।

🟥अपीलकर्ता के खिलाफ की गई टिप्पणियों को खारिज किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप, यहां तक कि अपीलकर्ता के खिलाफ आदेश में निहित निर्देशों को भी खारिज किया जाता है।

हाल ही में,

❇️भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि निचली अदालतों के न्यायाधीश अक्सर निशाना बनाए जाने के डर से जमानत देने से हिचकते हैं।

केस टाईटल :- सरिता स्वामी बनाम राजस्थान राज्य |
2022 लाइव लॉ (SC) 985 | सीआरए 2019/2022 | 21 नवंबर 2022 |
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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