40 फुट गहरे बोरवेल में गिरा सियार, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने बचाया

40 फुट गहरे बोरवेल में गिरा सियार, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने बचाया!

खुले कुएँ और बोरवेल ना ही केवल इंसानों के लिए बल्कि जानवरों के लिए घातक साबित होते आए हैं, ऐसी ही एक घटना में आगरा के ताजगंज छेत्र स्थित करभना गांव में 40 फुट गहरे खुले बोरवेल में गिरे सियार को वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने बचाया। ऑनसाइट मेडिकल परिक्षण के बाद, सियार को उसके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया गया।

इसके बाद वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस टीम ने आगरा गोल्फ कोर्स से सात फुट लंबे अजगर और आगरा सिविल हवाई अड्डे परिसर से छह फुट लंबे अजगर को भी सकुशल रेस्क्यू किया।

रविवार का दिन वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस रैपिड रिस्पांस यूनिट के लिए एक्शन से भरपूर सप्ताहांत रहा, जहां टीम हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर प्राप्त हुई कई कॉल्स के जवाब से लेकर पूरे आगरा में संकट में फसे जानवरों को बचाने में व्यस्त रही।

सुबह काम पर निकले किसानों को करभना गाँव में एक खुले बोरवेल से अजीब आवाज़ आती सुनाई दी, जब उन्होंने पास जा कर देखा, तो उन्हें एक सियार गिरा मिला। जानवर की भलाई के लिए चिंतित, उन्होंने सहायता के लिए तुरंत 24×7 आपातकालीन हेल्पलाइन (+91-9917109666) पर वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस रैपिड रिस्पांस यूनिट को इसकी जानकारी दी।

एन.जी.ओ द्वारा आवश्यक बचाव उपकरण और चिकित्सा सहायता के साथ दो सदस्यीय टीम को तुरंत रवाना किया गया। एक घंटे तक चले बचाव अभियान में, सियार को बोरवेल से सुरक्षित निकाल लिया गया और ऑनसाइट मेडिकल परीक्षण के बाद, उसे वापस अपने प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “खुले कुएं और बोरवेल न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए भी बड़ा जोखिम पैदा करते हैं। इन कुओं और बोरवेल को ढकना जरूरी है, खासकर उन्हें जो मानव बस्तियों के निकट हैं। हम सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस को कॉल कर सूचना देने पर लोगों के आभारी हैं।

सियार भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी हैं और बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सर्वाहारी होते हैं और विभिन्न प्रकार के छोटे स्तनधारि, पक्षि, मछलि, खरगोश और यहां तक ​​कि फलों को अपना भोजन बनाते हैं। दुर्भाग्य से, सियार अक्सर शिकारियों द्वारा मार दिए जाते हैं, वन्यजीव तस्करी के शिकार होते हैं एवं मानव-वन्यजीव संघर्ष और सड़क दुर्घटनाएँ में भी मारे जाते है। यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित है और जंगल में इसकी अनुमानित आबादी 80,000 है।

इसके बाद, टीम ने ताजमहल वेस्ट गेट के पीछे स्थित आगरा गोल्फ कोर्स से सात फुट लंबे अजगर का भी रेस्क्यू किया। अजगर को शुरू में रेस्ट हाउस के पास देखा गया था, जो बाद में बगीचे में आ गया था। टीम ने एयर फ़ोर्स स्टेशन के अंदर आगरा सिविल हवाई अड्डे से छह फुट लंबे अजगर को भी बचाया, जो पार्किंग के समीप स्टोर रूम में देखा गया था।

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजुराज एम.वी ने कहा, “जंगली जानवर को कुशलतापूर्वक पकड़ने के लिए बहुत सारी विशेषज्ञता और प्रशिक्षित इंसानों की आवश्यकता होती है। वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस रेस्क्यू टीम में प्रशिक्षित बचाव दल हैं जो विभिन्न प्रकार की आपात स्थितियों में भी बचाव अभियान को अंजाम देने में सक्षम हैं।”

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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