देश में हो रहे रासायनिक उर्वरक/खाद की अधिकता से मानव का भविष्य खतरे में- राजू आर्य

देश में हो रहे रासायनिक उर्वरक/खाद की अधिकता से मानव का भविष्य खतरे में- राजू आर्य

हिंदू ह्रदय एवं कट्टर हिंदूवादी किसान नेता राजू आर्य ने सरकार को जैविक खेती के प्रति बढ़ावा देने हेतु लिखा पत्र।

जैविक खेती करके किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है– राजू आर्य

एटा-जैसा की सर्वविदित है आज के आधुनिक युग में किसानों द्वारा खेतों में पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरक/खाद की मात्रा अत्यधिक प्रयोग लोगों को बीमार बना रहा है। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रंजीत कुमार उर्फ राजू आर्य ने बताया कि जब हमारे देश के युवा बुजुर्ग और बच्चों का स्वास्थ्य ही ठीक नहीं होगा और अधिक बीमार रहेंगे तो देश अपने आप कमजोर होता चला जाएगा।जिसके कारण देश का भविष्य सुधारने एवं एक मजबूत दिशा की ओर ले जाने के लिए युवाओं बच्चों एवं बुजुर्गों का सेहतमंद होना अत्यधिक जरूरी है जिसके लिए भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह के निर्देशन में भारतीय किसान यूनियन के संगठन मंत्री रंजीत कुमार उर्फ राजू आर्य ने आग्रह पूर्वक उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से भारत सरकार का ध्यान भारतीयों के उज्जवल भविष्य एवं किसानों की जमीन अधिक उपजाऊ बनाने हेतु भारत में पिछले करीब 4000 वर्षो से निम्न उत्पादन के लिए प्रयोग की जा रही जैविक खेती की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बिंदुबार सुझावों पर कोई ठोस योजना तैयार कर कार्यान्वित किए जाने का अनुरोध बिंदुबार सुझाव के साथ बताया गया है। कि जैविक खेती करने से भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि, सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है ,रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है तो बाजारों में जैविक उत्पादों की मांग में वृद्धि होने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है। जैविक खेती करने से भूमि जल एवं वायु प्रदूषण बहुत कम होता है, व किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थों व कीटनाशकों एवं केमिकल फर्टिलाइजर्स का प्रयोग नहीं होता है।जैविक खेती करने पर पौष्टिक भोजन का उत्पाद होता है और उत्पादित खाद्य पदार्थों का स्वाद भी नियमित रूप से उपजे खाद्य वस्तुओं से बेहतर होता है। कृषि से खाद्य वस्तुओं में कई प्रकार के विटामिंस प्राप्त होते हैं। जैविक खेती से पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।जैविक खेती से मिट्टी के पोषण को बढ़ावा भी मिलता है तथा मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है। जैविक खेती से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार के कई अवसर प्रदान होते हैं जिससे किसानों एवं मजदूरों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है जैविक कृषि पर्यावरण के अनुकूल होती है, साथ ही जैविक खेती में आधुनिक मशीनों के प्रयोग के बजाय मानवीय श्रम की आवश्यकता अधिक रहती है। तथा कृषि में गोबर की खाद कंपोस्ट जीवाणु खाद फसलों के अवशेष एवं प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों से पौधों की पोषक तत्व की क्षमता में वृद्धि होती है। जैविक कृषि से उत्पन्न अनाज के सेवन से किसी भी मानवीय बीमारी से ग्रसित होने का खतरा नहीं आता है। अतः भारतीय नागरिकों के उज्जवल भविष्य एवं स्वस्थ जीवन के लिए जैविक कृषि आधारित उक्त निम्नांकित बिंदुओं का गहन मंथन करते हुए कोई ठोस योजना तैयार कर समूचे देश में क्रियान्वित किए जाने का(भानू) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री राजू आर्य की ओर से भारत सरकार को लिखित में जैविक खेती के फायदे/लाभ बताते हुए जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु विशेष आग्रह किया गया है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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