बिजली आपूर्ति ठप होने की वजह से परेशान रहे शहरवासी

बिजली आपूर्ति ठप होने की वजह से परेशान रहे शहरवासी

एटा, संवाददाता। शहर के करीब डेढ़ लाख लोग लगातार 17 घंटे तक बिजली आपूर्ति ठप होने की वजह से परेशान रहे। लगातार बिजली कटौती की वजह से पेयजल सप्लाई तक नहीं हो पाई। सक्षम लोगों ने किराए पर जनरेटर मंगाकर अपना काम चलाया। बिजली-पानी की आपूर्ति ठप होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
गुरुवार की रात को बारिश शुरू हो गई। बारिश शुरू होने के आधा घंटे बाद तेज बिजली कड़कने के साथ ही शहर भर की बिजली गुल हो गई। साढ़े 12 बजे के बाद पूरा शहर अंधेरे में डूब गया। रात तो लोगों जैसे-तैसे काट ली लेकिन सुबह पेयजल आपूर्ति न होने से लोगों और भी परेशानी का सामना करना पड़ा। पानी टंकियों में थोड़ा बहुत पानी था उससे सुबह थोड़ी देर के लिए काम चल गया,उसके बाद लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। सुबह 11 बजे तक बिजली नहीं आई तो कुछ लोगों ने जनरेटर मंगाकर पानी भर लिया। बिजली न आने की वजह से लोगों को गर्मी का भी सामना करना पड़ा। आपूर्ति शुरू कराने के लिए कुछ लोग तो बिजलीघर ही पहुंच गए। बता दें कि शहर में प्रमुख पांच बिजलीघर हैं। सिर्फ कोतवाली देहात बिजली घर ही सही चला है। शेष शहर की आपूर्ति पूरी तरह से बंद रही।
लोगों को याद आए हैंडपंप बिजली आपूर्ति ठप होने से घरों में पानी तक नहीं आया। नगरपालिका की आपूर्ति भी नहीं आई। ऐसे में लोगों को हैंडपंपों की याद आई। हैंडपंपों पर भीड़ नजर आई। जिन स्थानों पर हैंडपंप खराब थे उन लोगों ने आरओ प्लांटों पर पहुंचकर पानी खरीदा।
25 लाख रुपये का नुकसान हुआ बिजली निगम एटा। शहर के चार बिजली घरों में आई खराबी के कारण करीब 25 लाख रुपये का नुकसान हो गया। 20 रुपये की लागत के दो ट्रांसफार्मर खराब हो गए। इसमें 50 से अधिक इंसूलेंटर खराब हो गए। सबसे अधिक समय इंसूलेंटरों को चेक करने में लगा। इसके लिए खंभों पर जांच की गई। बिजली को सही करने के लिए 40 कर्मचारी लगाए गए थे।

“बिजली ना होने से एक करोड़ का कारोबार प्रभावित

एटा। बिजली ना आने से एक करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार प्रभावित हो गया। सराफा कारोबारी अमर महाजन ने बताया कि दिन भर कोई काम नहीं हो सका है। अकेले बाबूगंज में ही 30 से अधिक सराफा की दुकानें हैं।

अमित सर्राफ ने बताया कि घंटाघर पर व्यापारी पूरे दिन खाली बैठे रहे। सभी दुकानों पर इलेक्ट्रानिक कांटे है लेकिन बैटरी लो होने की वजह से बिक्री भी नहीं हो सकी। बिजली विभाग के अधिकारियों को कई बार फोन किए गए, लेकिन कोई संतोष जनक जबाव नहीं दिया ।”

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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