आखिर कुंभकरण जैसी नींद से कब जागेगी स्वास्थ्य विभाग की टीम।

आखिर कुंभकरण जैसी नींद से कब जागेगी स्वास्थ्य विभाग की टीम।

आगरा- अगर यमुनापार एत्माद्दौला क्षेत्र की बात करें। तो यहां झोलाछाप डॉक्टरों का जाल इस कदर बिछा हुआ है। कि जैसे कोई शिकारी अपना जाल बिछा देता है ।और उसमें आकर शिकार फंस जाता है ।फिर वह कितना भी हाथ पैर मार ले चाहे कितना भी जाल से बाहर निकलने की कोशिश कर ले ।लेकिन वह जाल से निकल नहीं सकता । ऐसा ही एक नजारा हम भी आपको दिखाते हैं जो चौराहे पर बैठकर एक महिला के दांतो का इलाज कर रहा है और देखिए उसके हाथ में कुछ नुकीला टाइप का तीन जैसी चीज से इलाज कर रहा है ऐसे ही लोग धीरे-धीरे कोई डेंटिस्ट बन जाता है । कोई किसी का कोई किसी का डॉक्टर बन जाता है और फिर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ शुरू करने लगते हैं। ।कुछ इसी प्रकार इसी क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर अपने क्लीनिक खोलकर बैठे हुए हैं। कुछ तो ऐसी क्लीनिक है। जिस पर नाम तक नहीं डला हुआ है ।आखिर ऐसा क्यों। बहुत सारे सवाल ऐसे उठ रहे। हैं अगर इन्हें बेनाम बादशाह के नाम से कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा। हाई स्कूल इंटर करने के बाद महीने 6 महीने किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में कंपाउंडरिगं कर कुछ अनुभव प्राप्त कर लेते हैं ।उसके बाद किसी भी हॉस्पिटल से टच होकर अपना क्लीनिक खोल लेते हैं ।और फिर दलाली का धंधा होता है शुरू। ऐसी जगह खोला जाता है जहां कम पढ़े लिखे लोग कम अनुभवी गरीब असहाय परिवार के लोग रहते हो। ऐसी आबादी में कई खुली हुई हैं यहां कैमरे की जरूरत नहीं पड़ेगी तिरछी नजर के साथ बेखौफ सच लिख रहा हूं ।अगर स्वास्थ्य विभाग की टीम एक नजर इन क्षेत्रों में डाले तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी ।जैसे प्रकाश नगर ,नुनिहाई ,सीता नगर, शाहदरा, हनुमान नगर ,कटरा वजीर खां, नारायच ,टेडी बगिया ,मस्जिद के पीछे ,एक साथ कई क्लीनिक शाह नगर बंबा, हाथरस रोड प्रकाश कोल्ड के पीछे ऐसे बहुत से क्लीनिक खुली हुई है। जो मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टर पहले लालच देते हैं दस बीस ₹30 मैं इलाज करने का लालच मरीज को देते है ,और फिर धीरे धीरे बढ़ा देते हैं रुपए सौ से डेढ़ सौ रुपए तक मैं करते हैं ।इलाज और अगर किसी मरीज की ज्यादा तबीयत हो जाती है खराब तो उसे अपने ही संपर्क में आने वाले हॉस्पिटल में कर देते हैं। रेफर वहां से भी उठा लेते हैं ।अपनी दलाली। आखिर यह झोलाछाप डॉक्टर अपने क्लीनिक पर कोई नाम क्यों नहीं लिखते जब रजिस्टर्ड है। तो फिर नाम भी लिखा होना चाहिए। क्लीनिको पर अगर किसी बाहरी आदमी को क्या मालूम किस नाम से है ।क्लीनिक और केस बिगड़ने पर किससे करेगा शिकायत यह तो बहुत बड़ी बात होती है ।वह कहां जाएगा बेचारा ऐसे ही कुछ डॉक्टरों के इलाज से पहले भी मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। ना जाने क्यों स्वास्थ्य विभाग की टीम कुंभकरण जैसी नींद से क्यों नहीं जाग रही है। और इन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। अब देखना होगा ।कि आखिर इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कब तक कार्यवाही होगी ,या फिर यह झोलाछाप डॉक्टर ऐसे ही मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे। और स्वास्थ्य विभाग की टीम कुंभकरण जैसी नींद में सोती रहेगी।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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