सामाजिक बदलावों पर बोलने वाले मक्का मस्जिद के पूर्व इमाम को 10 साल की सजा , भड़के लोग

सऊदी अरब : सामाजिक बदलावों पर बोलने वाले मक्का मस्जिद के पूर्व इमाम को 10 साल की सजा , भड़के लोग

सऊदी अरब में मक्का मस्जिद के पूर्व इमाम को 10 साल की सजा दी गई है. मक्का मस्जिद में इमाम रह चुके 48 वर्षीय शेख सालेह अल तालिब को अगस्त साल 2018 में कोई आधिकारिक वजह बताए बिना ही गिरफ्तार कर लिया गया था. उस समय वह मक्का की मस्जिद में इमाम ही थे. इमाम पहले से ही जेल में थे और सऊदी के एक कोर्ट ने उन्हें छोड़ने का फैसला सुनाया था. अब सऊदी के कोर्ट ऑफ अपील ने पिछली अदालत का फैसला पलटते हुए पूर्व इमाम को 10 साल की सजा सुना दी.

पूर्व इमाम को मिली 10 साल की सजा को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने नाराजगी जाहिर की है. एक यूजर अबु सुलेमान ने कहा कि वे हमेशा सच बोलते हैं, इसी वजह से उन्हें जेल में रखा गया है. यूजर ने आगे कहा कि इमाम अल तालिब ने सऊदी में हो रही गलत चीजों के बारे में बोला था. वहीं एक अन्य यूजर ने कहा कि अगर शुक्रवार को नमाज पढ़ाने वाले इमाम अच्छे और बुरे के बारे में नहीं कह सकते और रिफार्म का बुलावा नहीं दे सकते हैं तो उनका फिर क्या काम है.

सऊदी अरब में डेमोक्रेसी फॉर अरब वर्ल्ड नाउ संगठन के प्रवक्ता अब्दुल्ला अलाउद ने पूर्व इमाम को मिली 10 साल की सजा सुनाए जाने की निंदा की. उन्होंने पूर्व इमाम शेख सालेह अल तालिब को मिली सजा को लेकर कहा कि जो भी धार्मिक गुरु सऊदी में म्यूजिक कंसर्ट्स, स्पोर्टिंग इवेंट और मनोरंजन शुरू करने के खिलाफ बोल रहा, उनके साथ ऐसा ही किया जा रहा है.

संगठन के प्रवक्ता अब्दुल्ला ने आगे कहा कि मक्का की बड़ी मस्जिद के इमाम को सामाजिक बदलावों पर बोलने पर 10 साल की सजा देने से साफ पता चलता है कि सऊदी क्राउन प्रिंस हर विरोधी समूह को धमका रहे हैं. अब्दुल्ला ने आगे कहा कि इमाम अल तालिब को मिलाकर पिछले दिनों में पकड़े गए इन राजनीतिक कैदियों में समानता है कि इन सभी ने शांति के साथ अपना रुख स्पष्ट किया था और गिरफ्तार हो गए.

बता दें कि सऊदी अरब में जब से क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने देश की उदारवादी छवि पेश करने के लिए कई बदलाव किए हैं, तब से ही वे सऊदी अरब में कई दक्षिणपंथी विचारधारा वाले इस्लामिक स्कॉलरों और संगठनों के निशाने पर आ गए हैं. क्राउन प्रिंस के खिलाफ पिछले कुछ दिनों में प्रदर्शन भी हुए हैं, जिनके बाद उसमें शामिल कई लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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