पेंशनभोगी बुजुर्ग करेंगे जल सत्याग्रह चुल्लू भर पानी में डूब मरो सरकार

खरी – अखरी

पेंशनभोगी बुजुर्ग करेंगे जल सत्याग्रह
चुल्लू भर पानी में डूब मरो सरकार
छत्तीसगढ़ ने दे दिया – अब तो दे दो पेंशनरों को 34 फ़ीसदी मँहगाई राहत

बुजुर्ग पेंशनरों के सब्र का बाँध टूटने लगा है. खबर है कि शिवराजी सरकार की कुंभकर्णी निद्रा भंग करने के लिए पेन्शनर्स 14 जून को नर्मदा तट के उमा घाट पर जल सत्याग्रह करने जा रहे हैं.
प्रदेश में चल रही डबल ईंजन की सरकार अपने ही मुख्य ईंजन को पीछे की ओर खींच रही है. जहां केन्द्र सरकार अपने रेगुलर कर्मचारियों और पेंशनरों को 34 फ़ीसदी मँहगाई भत्ता, मँहगाई राहत दे रही है तो वहीं शिवराज सरकार रेगुलर कर्मचारियों को तो 31 फ़ीसदी मँहगाई भत्ता दे रही है मगर पेंशनरों को केवल 17 फ़ीसदी मँहगाई राहत दे रही है.
जबकि देशभर की अधिकांश राज्य सरकारें (डबल और सिंगल ईंजन) अपने रेगुलर और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को केन्द्र के समान 34 फ़ीसदी मँहगाई भत्ता और मँहगाई राहत दे रही हैं.
मध्यप्रदेश सरकार पिछले 21 सालों से राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 तथा 6वीं अनुसूची में दिए गए उपबन्धों की गलत व्याख्या कर पेंशनरों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करती चली आ रही हैं.
राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों को अपने – अपने पेंशनरों को पेंशन देने के लिए 6वीं अनुसूची में दिए गए प्रावधानों के तहत दायित्वाधीन बनाती है । धारा 49 और 6वीं अनुसूची की पांचों कंडिकाओं तथा पांचवीं कंडिका की दोनों उपकंडिकाओं में कहीं भी नहीं लिखा है कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित मंहगाई राहत (डी आर) मध्यप्रदेश सरकार अपने पेंशनरों को देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद जारी करेगी ।
धारा 49 और 6वीं अनुसूची में दिये गए प्रावधान केवल इतना कहते हैं कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार पेंशन भुगतान का दायित्व अपनी जनसंख्या के अनुपात में उठाएंगे । दोनों राज्य सरकारों ने पेंशन शेयर को भी तय कर लिया है । जिसके अनुसार मध्यप्रदेश सरकार 76 फीसदी और छत्तीसगढ़ सरकार 24 फीसदी के अनुपात में शेयर करेंगे । दोनों सरकारें वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अर्थात 31 मार्च को अपने – अपने शेयर का समायोजन करेंगी ।
वर्तमान में जहां केन्द्र सरकार अपने पेंशनर्स को 34 फीसदी मंहगाई राहत दे रही है वहीं मध्यप्रदेश सरकार 17 फीसदी मंहगाई राहत दे रही है ।
अब जब छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने पेंशनरों को 34 प्रतिशत मँहगाई राहत दिया जाना शुरू कर दिया है तब भी शिवराज सरकार पेंशनरों को दिए जाने वाले मँहगाई राहत पर कुंडली मारे बैठी हुई है.
इतना ही नहीं मध्यप्रदेश सरकार ने दो बिल्लियों की लड़ाई (छत्तीसगढ़ – मध्यप्रदेश सरकार) का फायदा उठाते हुए छठवें वेतनमान के 32 महीने तथा सातवें वेतनमान के 27 महीने का एरियर्स का भुगतान अभी तक नहीं किया है ।
मध्यप्रदेश सरकार य़ह मान कर चल रही है कि यदि हमारे उपेक्षित रवैये से नाराज पेंशनरों ने आंदोलन भी किया तो सरकार की सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. सरकार की मंशा तो यही दिखती है कि जितनी जल्दी जितने ज्यादा पेंशनर्स की संख्या कम होगी उसके लिए उतना ज्यादा फायदेमंद ही होगा ।
यहाँ य़ह लिखना समीचीन होगा कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत जहाँ 1 नवम्बर 2000 को मध्यप्रदेश को विखंडित कर छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया वहीं 9 नवम्बर 2000 को उत्तरप्रदेश को विखंडित कर उत्तराखंड तथा 15 नवम्बर 2000 को बिहार का विखंडन कर झारखंड राज्य अस्तित्व में आया ।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वी अनुसूची के प्रावधान मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ की तरह ही उत्तरप्रदेश – उत्तराखंड तथा बिहार – झारखंड राज्यों में भी लागू होते थे परन्तु मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ के बाद अस्तित्व में आये राज्य उत्तरप्रदेश – उत्तराखंड और बिहार – झारखंड ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वीं अनुसूची को विलोपित कर दिया है तथा अपने – अपने राज्य के पेंशनरों की देनदारियों का निपटारा स्वतंत्र रूप से कर रहे हैं । वहीं 21 साल बाद भी मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ धारा 49 (6) को अपने पेंशनर्स की छाती में मूंग दलने की चक्की बनाये हुए हैं ।

विद्युत कम्पनियों के पेंशनरों पर तो लागू ही नहीं होती राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वीं अनुसूची के प्रावधान
तभी तो छत्तीसगढ़ विद्युत कम्पनियां दे रही हैं सरकार की अनुमति बिनाअपने पेंशनरों को केन्द्र के समान मंहगाई राहत

वहीं मध्यप्रदेश विद्युत कम्पनियां 01 जनवरी 2006 को राज्य शासन के वेतनमान के अनुरूप लागू किये गए वेजरिवीजन का बहाना बनाकर कर राज्य सरकार द्वारा मंहगाई भत्ता, मंहगाई राहत देने के बाद अपने नियमित और पेंशनर्स को मंहगाई भत्ता, मंहगाई राहत देती हैं ।
विद्युत विभाग का कहना है कि राज्य शासन के वेतनमान के अनुरूप वेजरिवीजन का समझौता यूनियन (संभवतः अभियंता संघ) ने किया था । सवाल उठता है कि 2005 में विद्युत कम्पनियों के अस्तित्व में आने के बाद क्या विद्युत विभाग में ऐसी कोई मान्यता प्राप्त यूनियन थी जो प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के कर्मचारियों के लिए अधिकृत रूप से कोई एग्रीमेंट कर सके ।
केन्द्र के समान मंहगाई भत्ता और मंहगाई राहत विद्युत विद्युत विभाग के कर्मचारियों और पेंशनर्स को देने की बाध्यता विद्युत कम्पनियों पर नहीं है क्योंकि ये राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6 वीं अनुसूची के प्रावधान से मुक्त हैं ।
यही कारण है कि छत्तीसगढ़ विद्युत कम्पनियां अपने नियमित कर्मचारियों और पेंशनरों को केन्द्र के समान मंहगाई भत्ता और मंहगाई राहत छत्तीसगढ़ सरकार की अनुमति के बगैर दे रही है तो फिर मध्यप्रदेश की विद्युत कम्पनियां क्यों कर नहीं दे सकतीं !
छत्तीसगढ़ पॉवर होल्डिंग कम्पनी ने अपने आदेश क्रमांक 366 दिनांक 26 अप्रेल 2022 को आदेश जारी करते हुए कहा है कि विद्युत कम्पनियों के समस्त पेंशनर्स और परिवार पेंशनर्स को 1 जनवरी 22 देय 34 फीसदी मंहगाई राहत का भुगतान अप्रेल 22 के पेंशन के साथ किया जाएगा । जनवरी 22 से मार्च 22 तक की बकाया मंहगाई राहत का भुगतान अप्रेल 22 से जून 22 के पेंशन के साथ तीन समान किश्तों में किया जाएगा ।
छत्तीसगढ़ विद्युत पेंशनर्स और परिवार पेंशनर्स को 34 फीसदी मंहगाई राहत दिए जाने का आदेश जारी होते ही मध्यप्रदेश विद्युत पेंशनर्स और परिवार पेंशनर्स को भी जनवरी 22 से 34 प्रतिशत मंहगाई राहत मिलने का रास्ता साफ हो गया है ।
मगर मध्यप्रदेश विद्युत कम्पनियों के कर्ताधर्ता अपनी लीक के फकीर वाली हठधर्मिता छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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