बलरामपुर पत्रकार उत्पीड़न पर अब तक मौन दिखा जिला प्रशासन, नही कर पा रहे दोषियों पर कार्यवाही

बलरामपुर पत्रकार उत्पीड़न पर अब तक मौन दिखा जिला प्रशासन, नही कर पा रहे दोषियों पर कार्यवाही

पुरानी कहावत है हाथी के दांत खाने का और दिखाने का और होते हैं ऐसा ही कुछ मामला जिला प्रशासन बलरामपुर का है जहां पर जिला मेमोरियल अस्पताल में ड्यूटी पर उपस्थित डाक्टरो और उनके सहयोगियों ने एक चैनल के पत्रकार को पहले मारा पीटा और चैन छीनने का आरोप लगाया और दबाव बनाने के लिए उल्टा उसी पत्रकार पर मुकदमा पंजीकृत करवाया गया जब पत्रकार कोतवाली बलरामपुर अपनी रिपोर्ट लिखवाने अपने पत्रकार सहयोगियों के साथ गया था दूसरी तरफ साक्ष्यों को मिटाने के लिए डॉक्टरों ने मेमोरियल अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज में साक्ष्यों को डीलिट कर दिया रिपोर्ट दोनो तरफ से पुलिस ने लिख लिया पर कार्यवाही कुछ भी नही हुई।जिसमें डाक्टरो ने दबाव बनाने के लिये पत्रकार पर यह आरोप लगाया कि पत्रकार ने चैन छीन लिया और इतना सब होने के बाद भी जिले के मुखिया लगता है कि अब नींद की आगोश में है और आज 7 दिन बीत जाने के बाद भी ना तो मामले को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लिया और ना ही अब तक कोई दोषियों पर कार्रवाई हुई है जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी का यह आदेश भी है कि पत्रकार उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और तत्काल दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी लेकिन यहां ऐसा देखने को नहीं मिलता यहां तो अधिकारियों के दबाव और मिलीभगत का खेल खुलेआम खेला जा रहा है जिस कारण अब तक कार्रवाई नहीं की गई इस संबंध में जब पत्रकार राहुल से बात की गई तब यह जानकारी मिली की प्रशासन डाक्टरो के बचाव का कार्य कर रहा है और उल्टे हम पर दबाव बनाया जाता है और कार्रवाई के नाम पर मामला अधर में लटका हुआ है जबकि अस्पतालों में भृष्टाचारियो का खेल बदस्तूर जारी देखा जा रहा है जिस पर ना तो कोई संज्ञान लिया जाता है और ना ही कोई कार्रवाई की जा रही है जिससे भ्र्ष्टाचार पर अंकुश लगे। तो वहीं जिले के अस्पतालों में भ्रष्टाचार और लूट का खेल बदस्तूर जारी है अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों का कमीशन खोरी जो दवा और जांच के द्वारा किया जा रहा है तो वही नर्सिंग होम चलाने और मरीजो का इलाज अस्पताल में न करके नर्सिंगहोम में कर भारी भरकम रकम वसूला जा रहा हैं और मरीजों का लगातार दोहन होता रहता है लेकिन ना तो इस पर उच्च अधिकारी कोई संज्ञान ले रहे हैं और ना ही कोई कार्यवाही की जारही है और मरीजो का उत्पीड़न लगातार जारी है इस पर जब पत्रकारों ने सच्चाई दिखाने के लिये अस्पताल का कवरेज करने गए तो उनसे मारपीट की गई और उल्टा उसी पर मारपीट करने के बाद मुकदमा पंजिकृत करवाया जा रहा है ।और भ्र्ष्टाचार में लिप्त डाक्टरो की मंशा यही है कि हमारी लूट का खेल ऐसा ही चलता रहे कोई अड़चन न हो ।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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