
रिफाइन आयल आपके दिल और स्वास्थ्य के लिए किसी जहर से कम नहीं।
केंसर के प्रकोप के लिए खतरनाक है रिफाइन ऑइल।
वर्तमान में जिस तरह से देश के अंदर पुरुषों,महिलाओं, खासकर बच्चों में दिल की बीमारी के साथ केंसर का प्रकोप बढ़ रहा है, इसके लिए सबसे ज्यादा दोषी है तो वो है रिफाइन आयल,और देश मे बिकने बाला मिलावटी सरसों का तेल साथ ही प्लास्टिक से बनने वाले डिस्पोजल ग्लास और अन्य खाने के प्लास्टिक के बर्तन।बाजार में इस समय सरसों के तेल की कीमत लगभग 200 रुपये प्रति किलो है,जिसमें दुकानदार 60-70 रुपये कीमत का पाम आयल मिला कर धड़ल्ले से बेंच रहे हैं।हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ है,कि देश के अंदर बढ़ने वाले दिल के मरीज और केंसर के मरीजों में रिफाइन आयल की बजह से इन रोगों में इजाफा हुआ है।पुरुषों महिलाओं की छोड़ो,नौनिहालों में जिस तेजी से दिल के मर्ज और केंसर का प्रकोप देखने को मिल रहा है,वह सब रिफाइन आयल और मार्केट में बिकने बाले मिलावटी सरसों के तेल की बजह है,तमाम बच्चे चाउमीन,मोमोज,फिंगर(फ्रेंच फ्राईज) को बहुत ही चाव से खाते हैं, जो रिफाइन के अलावा बहुत ही घटिया किस्म के तेलों से बनाये जाते हैं।वर्तमान में सभ्य परिवारों में फ़ास्ट फूड,होटलों से खाना मंगबाना एक भौतिकवादी सभ्यता का प्रतीक बन चुका है।बढ़ती हुई दिल की बीमारियों, केंसर के प्रकोप से अगर बचना चाहते है तो डिस्पोजल वस्तुओं के प्रयोग से बचना होगा। साथ ही वर्तमान समाज उसे बाजार से सरसों खासकर यदि पीली सरसों मिल जाये,तो उसको खरीदकर अपने सामने स्पेलर से तेल निकलवाकर खाने में प्रयोग करें तो निश्चय ही इन घातक बीमारियों के प्रकोप से बचा जा सकता है।जिस देश के नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा होगा बो देश हमेसा तरक्की करेगा।देवेंद्र शर्मा देवू।