
20 रुपये किलो में बेचा जा रहा मेडिकल कचरा
एटा। मेडिकल वेस्ट के दुष्प्रभावों के मद्देनजर इसके निस्तारण की प्रक्रिया निर्धारित की गई है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में इस कचरे को 20 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। कबाड़ी को अस्पताल में बुलाकर सिरिंज, खाली ड्रिप बोतलें आदि सामान बेच दिया जाता है। गंभीर बात तो यह है सबकुछ खुलेतौर पर हो रहा है इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की जाती।
शुक्रवार को अमर उजाला की टीम ने मेडिकल कॉलेज के अधीन आठ मंजिला एमसीएच (मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल) भवन में पड़ताल की। यहां जच्चा-बच्चा, सर्जिकल, मेडिकल, पीडियाट्रिक आदि वार्ड संचालित हैं। साथ ही अधिकांश चिकित्सक यहीं ओपीडी करते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं व बच्चों के नियमित टीकाकरण के अलावा कोविड टीकाकरण भी यहां किया जाता है। इस सबमें यहां रोजाना काफी चिकित्सकीय कचरा निकलता है।
कुछ कर्मचारी एक कबाड़ वाले को ठेल सहित बुलाकर लाए। इस भवन में प्रयुक्त सिरिंज, प्लास्टिक की प्रयुक्त बोतलें आदि सामान कबाड़ वाले को दिया जा रहा था, जो इसे ले जाने के लिए अपने ठेल में लाद रहा था। पूछने पर कबाड़ वाले ने बताया कि 20 रुपये किलो में यह सामान खरीदा है। आठ-दस दिन बाद यहां के कर्मचारी बुलाकर कबाड़ा बिक्री करते हैं। इसे हम ले जाकर बड़े कारोबारियों के यहां देते हैं। वहां से इसको रिसाइकिल करने के लिए भेजा जाता है।
नहीं बेचा जा सकता मेडिकल कचरा
मेडिकल कचरे को बेचना तो दूर, इसे किसी को मुफ्त में भी नहीं दिया जा सकता और न ही इधर-उधर फेंका जा सकता है। नियमों का उल्लंघन करने पर पांच साल की सजा और एक लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नियमानुसार मेडिकल कचरे को अलग-अलग रंग के डस्टबिन में एकत्रित किया जाता है। इसके बाद निर्धारित विधि के अनुसार इसका निपटान किया जाता है। जिसके लिए आगरा की एक निजी संस्था को ठेका दिया गया है।