अब हवाएं ही करेगी रोशनी का फैसला जिस दिए में जान है वो दिया रह जायेगा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव एक नजर।
अब हवाएं ही करेगी रोशनी का फैसला जिस दिए में जान है वो दिया रह जायेगा।
भारत के अंदर पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव कि घोषणा मुख्य आयोग द्वारा कर दी गई हैं।इन सभी राज्यो में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का अलग ही अंदाज है, यहाँ पर भाजपा की सरकार है, जिसके मुख्यमंत्री योगी जी को मुख्यमंत्री पद से हटाने और भाजपा की पुनः सरकार न बने इसके लिए सभी विपक्षी दल गठबंधन करके सत्ता रूढ़ भाजपा को हराना चाह रहे हैं।जब प्रदेश में कई पार्टियां हैं, और उनके अलग-अलग राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, तो क्यों नहीं ये अलग अलग लड़कर अपनी ताकत दिखाते हैं।जब दंगल होता है तो एक एक पहलवान के मध्य ही कुश्ती होती है, ऐसा नहीं होता कि जो पहलवान ताकतवर है तो उस पर सारे पहलवान टूट पड़े।यहाँ पर रामायण का एक दृष्टांत याद आ गया,जिसमे सीता स्वयंवर के लिए जनक जी ने पूरे विश्व के राजाओं को बुलाकर धनुष को तोड़ने वाले के साथ सीता जी के विवाह की शर्त रखी थी।पर कोई भी बलशाली राजा धनुष को तोड़ने की तो छोड़ो उसे हिला तक नहीं पाया।और श्रीराम ने उस धनुष को पलक झपते ही तोड़ दिया था, और शर्त के अनुसार जनक जी ने सीता की शादी राम जी कर दी।यही हाल उत्तर प्रदेश का है, सारी विपक्षी पार्टियां मिलकर न तो केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने से रोक पाई, और न ही उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनने से रोक पाइ, जब लोकसभा चुनाव हुए तब सभी राजनैतिक दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया तब भी भाजपा गठबंधन को 352 सीटें मिली थी,जिससे केंद्र में एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी।वर्तमान में कुछ महत्वाकांक्षी नेता अपनी महत्वाकांक्षा के चलते सरकार में बने रहने की ही जुगत के चक्कर मे पायजामे की तरह पार्टियां बदलते नजर आ रहे हैं।महत्वपूर्ण बात तो यह है, की ऐसे नेता जब तक सत्तारूढ़ दल में रहते हुए मलाई मारते रहते हैं तब उनको उस पार्टी और उसके शासक में कोई बुराई दिखाई नही देती,लेकिन जैसे ही चुनाव की घोषणा होती है, ये गिरगिट की तरह रंग बदलने लग जाते है।और उसी पार्टी को गालियां देने लगते हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर काफी गर्मागर्मी चल रही है, मौका परस्त नेता दलबदल की राजनीति करने उगते हैं।अब प्रश्न यह उठता है, कि एक भाजपा की हराने के लिए किसी एक दल में ताकत नही है,जो भाजपा को हरा सके,कारण स्पष्ट है कि चाहे सपा हो चाहे बसपा हो या कांग्रेस कोई भी दल उत्तर प्रदेश की जनता पर अपना विश्वास जमा नही पाया, हा इतना जरूर कर पाई कि प्रदेश की भोली भाली जनता को हिन्दू मुस्लिम दंगो में झोंक कर अपनी राजनैतिक रोटियां जरूर सेंकने में कामयाब हो गई।लेकिन 2017 में जब प्रदेश में अराजकता और भय का बाताबरण व्याप्त हुआ तो,जनता ने भाजपा को विजयी बनाकर गद्दी पर विठा दिया।और मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ,पूरे प्रदेश में इस सरकार में कोई भी हिन्दू मुस्लिम दंगा नही हुआ,जनता को भय मुक्त बाताबरण मिला, यही उपलब्धि अब अन्य दलों को रास नही आ रही।इसी लिए सभी दल गठबंधन करके भाजपा को हराने की कोशिश में लग गए हैं, तब किसी कवि कि ये पंक्तियां अनायास ही याद आ गई,जिसमे कहा गया,अब हवायें ही करेगी रोशनी का फैसला,जिस दिए में जान है वो ही दिया रह जायेगा।उत्तर प्रदेश की जनता इस विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर इसका माकूल उबाब जरूर देगी।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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