
वागीश्वरी साहित्य परिषद के तत्वावधान में हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन
बोलना है सभी पर बोल नही पाते कितना है बोलना तौल नही पाते-भावुक
कोंच नगर की साहित्यिक संस्था वागीश्वरी साहित्य परिषद द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन श्री द्वारिकाधीश मंदिर में संपन्न हुआ जिसमें उपस्थित कवियों व साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था अध्यक्ष ओंकारनाथ पाठक ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में श्यामसुंदर चौधरी व विशिष्ट अतिथि के रूप में चंद्रशेखर नगाइच मंजू मौजूद रहे।गोष्ठी का संचालन आनंद शर्मा ने किया।सर्व प्रथम कवि प्रेम चौधरी द्वारा सरास्वती वंदन प्रस्तुत की। गोष्ठी में युवा कवि पारसमणि अग्रवाल ने अपनी प्रभावशाली रचना पढ़ी उन्होंने अपनी रचना में कहा कि
‘पत्र पढा होता तो बात बन जाती मेरेे भेजे खतों सेे किताब बन जाती, खोकर अपने होश को मेरी नींद उसकी याद बन जाती।अध्यक्षता कर रहे
ओंकारनाथ पाठक ने सर्वधर्म समभाव को अपनी रचना में गूॅथते हुए काव्य पाठ किया।उन्होंने कहा कोई गिला नहीं मंदिरों में नमाज अदा करें, इंसान हो इंसानियत का फर्ज अदा करें, खोल दो दरबाजे मस्जिदों के सभी मजहबों के लिए, प्रेयर कीर्तन और अरदास हम सब अदा करें।कवि नंदराम स्वर्णकार भावुक ने अपनी रचना पाठ में कहा बोलनेे की बात आज कहता हूं आपसे, बोलते हैं सभी पर बोल नहीं पाते हैं, कहां कब बोलना और कैसेे बोलना, कितना है बोलना येे तौल नहीं पाते। भावुक ने अपनी रचना में सभी को झकझोर कर रख दिया।
करवा चौथ व्रत को लेकर पत्नियों की आस्था और विश्वास को लेकर संतोष तिवारी सरल ने अपनी रचना में कहा कि कम से कम में काम चलाती हैं परिवार के कंधेे सेे कंधा मिलाती हैं, एक पत्नी अपने पति की उम्र बढाने के लिए कठिन करवा चौथ का व्रत अपनाती हैं।
संचालन करते हुए आनंद शर्मा अखिल ने अपनी रचना में कहा
उसको देेखा तो भर आईं आंखें जिसको देखे जमाना गुजर गया।
प्रेम चौधरी नदीम ने गजल पढी,
रूहे उल्फत सब को मयस्सर नहीं होती, इल्म की दौलत सबको मयस्सर नहीं होती, गजल कहने की कोशिश सभी करते नदीम, मगर शोहरत सबको मयस्सर नहीं होती।मुन्ना यादव विजय ने रचना पाठ किया उन्होंने अपनी रचना में कहा किसी के आंसुओं की बजह बनना नहीं चाहा, स्वयं झुकता रहा हर बार जिद करना नहीं चाहा, बजह कुछ भी रही हो सदा इल्जाम मुझ पर ही था, किसी ने मेरेे दिल की हकीकत को सुनना नहीं चाहा।कालीचरण सोनी तथा मुन्नालाल अग्रवाल लोहेबाले ने भी अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को बाॅधे रखा।