हाथरस,जैसी घटनाएं, समाज का जख्म होती है-सम्पादक की कलम से

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हाथरस,जैसी घटनाएं, समाज का जख्म होती है
हाथरस, की ये घटना तो निर्भया से भी ज्यादा क्रूर हो गई, दबंगों ने लड़की के साथ जो किया वह घटना ही देश पर बडा़ धब्बा है,उसपर ऐतिहासिक सितम लड़की के परिवार पर जो पुलिस प्रशासन, ने किया है, उस के परिवार को न शव दिया न उसको अंतिम दर्शन होने दिये,ऊपर से उनके साथ मारपीट यह लड़की का भाई स्वम बोल रहा है,तब पूंछना है,कि कौन से रूल और कानून मे है,ये तानाशाही ऐजेंडे जबाब देके पब्लिक को समझाया जाए समाज मे जब इतनी घृणित घटनाएं होगी बहू,बेटियों के जिस्म आबरू अमानुष नौच,नोचकर खाएंगे तो आवाम का हथियार चुप नहीं रह सकता है,सौ सुनार एक लुहार बाली ताकत मे होता है क्यों कि समाज की एक दूसरे के प्रति भावनाएं जुड़ी होती है,तब यही आवाम कुर्सी, दिलाती भी है,तो छीन भी लेती है,इस तरह की घटनाएं समाज का जख्म होती है, मारोगे भी रोने भी नहीं दोगे,परिवार के साथ इतना बड़ा अत्याचार पुलिस,प्रशासन, द्वारा किया जा रहा है, यह तो मौजूदा सरकार पर ऐतिहासिक सवाल है,पुलिस की क्या मजाल,जिसका जबाब अगर है,तो परिवार, पब्लिक को दो ये क्या हो रहा है,पब्लिक, और बेटियों के साथ,जबतक इन अमानुषों के लिये सख्त कानून नहीं बनेगा तबतक देश मे अपराधियों का इसी तरह हौसला बुलंद रहेगा,बीसियों साल अब ये अमानुष अदालतों मे पलते रहेंगे,फिर क्यों अपराध दहशत मे होगा, आवाम होगी दहशत मे—- बेटी पढाओ बेटी बचाओ ,,कितने अच्छे समाज की रचना होती जा रही है,कि इंसान जंगली होता जा रहा है,संस्कृति नंगी, सुरक्षा करने के नामपर बोटों के लिये,किसी भी हदतक जाने को—-ये पब्लिक है सब जानती है,पर जिम्दारियों के मायने क्या है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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