UP: भ्रष्टाचार की गिरफ्त में पूर्व DGP ओपी सिंह, SIT ने कहा-अफसरों के तबादलों में हुआ बड़ा भ्रष्टाचार

लखनऊ: भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर योगी सरकार की नजर टेढ़ी है। बीते दिनों आईपीएम अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ विजिलेंस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मेरठ में प्राथमिकी दर्ज की थी। विजिलेंस ने अपनी जांच में दोनों अधिकारियों को भ्रष्टाचार का दोषी पाया था।
अब भ्रष्टाचार की गिरफ्त में पूर्व डीजीपी ओपी सिंह आ गए हैं। जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। एसआईटी जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ओपी सिंह अफसरों के तबादलों में बड़ा भ्रष्टाचार किया है। पता चला है कि ओपी सिंह ने जांच में सहयोग भी नहीं किया था। इतना ही उन्होंने जांच के लिए ऑडियो पेनड्राइव बहुत विलंब में दी थी। पेन ड्राइव नोएडा से लखनऊ पहुंचने में 19 दिन लगे थे। जिससे बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।
एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक बड़े जिलों में अफसरों के तबादले की कीमत 50-60 लाख रुपये होती थी। कई अफसरों ने पेशगी भी जमा कर दी थी। इस मामले में अफसरों और दलालों पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी। लेकिन पैसा कौन लेता था और कहां-कहां जाता था इसपर एसआईटी चुप है। ओपी सिंह की भूमिका की जांच नहीं कराई गई। इस तरह ओपी सिंह पर कई गंभीर किस्म की शिकायतें हैं।