
देश ने एक सच्चा हीरो खो दिया।
डॉ. ए के रैरु गोपाल, वो नाम, जो न किसी पुरस्कार का मोहताज था, न ही किसी शोहरत का। उन्होंने अपने जीवन के पचास साल गरीबों की सेवा में लगा दिए।
सिर्फ 2 रुपये में इलाज करके हज़ारों ज़िंदगियाँ बचाईं। हर सुबह 4 बजे उठकर अपने घर ‘लक्ष्मी’ में बने छोटे से क्लिनिक में बैठ जाते थे। शाम 4 बजे तक बिना थके, बिना किसी छुट्टी के…
कन्नूर और आसपास के गाँवों से आने वाले हर उस मरीज को देखते, जो बड़े अस्पतालों तक नहीं पहुँच पाते थे। बच्चे, बुज़ुर्ग, महिलाएं, मजदूर सबके लिए वे बस “जनता के डॉक्टर” थे।
‘Two Rupee Doctor’ कहलाने वाले इस फरिश्ते ने कभी पैसे को प्राथमिकता नहीं दी, उनका धर्म था सेवा, और पहचान थी इंसानियत।
आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं, तो खाली सिर्फ उनका क्लिनिक नहीं हुआ, खाली हुआ एक ऐसा भरोसा, जो आज के समय में बहुत कम देखने को मिलता है।
डॉ. ए के रैरु गोपाल, आपने जो किया, वो न आँकड़ों में मापा जा सकता है,
न शब्दों में समेटा जा सकता है। आप चले गए, लेकिन आपकी कहानी, आपकी सेवा, हमें हमेशा याद दिलाएगी कि भारत की असली ताक़त इसी ज़मीन से, इन्हीं लोगों से निकलती है।
श्रद्धांजलि एक सच्चे हीरो को।