सावन मासिक शिवरात्रि का जानें शुभ मुहूर्त एवं हर्षण योग

बरेली :: सनातन धर्म में सावन शिवरात्रि का खास महत्व है। यह पर्व पूर्णतया देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। सावन शिवरात्रि के दिन भक्तजन देवों के देव महादेव का जलाभिषेक करते हैं।

सावन..

सावन का महीना देवों के देव महादेव को अति प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार, सावन शिवरात्रि और त्रयोदशी तिथि पर व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही शिवजी की कृपा साधक पर बरसती है।

सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त

सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगा।
24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का समापन होगा। पूजा का समय 23 जुलाई को निशा काल में 12 बजकर 07 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक है।

पूजा समय

प्रदोष काल में पूजा समय शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात 09 बजकर 53 मिनट तक है।
दूसरे प्रहर में पूजा समय रात 09 बजकर 53 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 28 मिनट तक है।
तीसरे प्रहर में पूजा समय रात 12 बजकर 28 मिनट से देर रात 03 बजकर 03 मिनट तक है।

सावन शिवरात्रि कब है?

सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई के दिन है। चतुर्दशी तिथि पर निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए 23 जुलाई को सावन माह की शिवरात्रि मनाई जाएगी। भक्तजन 23 जुलाई के दिन व्रत रख महादेव की पूजा एवं भक्ति कर सकते हैं। वहीं, व्रत का पारण 24 जुलाई के दिन कर सकते हैं।

हर्षण योग

सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर दुर्लभ हर्षण और भद्रावास का निर्माण हो रहा है। हर्षण योग का निर्माण दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से होगा। भद्रावास योग दोपहर 03 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा।

कैसे करें शिवरात्रि की पूजा

शिवरात्रि के पावन पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें। इसके बाद भगवान शंकर की पूजा एवं व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान को कच्चा दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, गंगाजल आदि से अभिषेक करें। इसके बाद जटाजूटधारी भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, आदि चढ़ाकर चंदन का लेप करें। पूजा के अंत में आरती और भगवान शिव की आधी परिक्रमा करें। शिवरात्रि पर भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रुद्राक्ष की माला से शिव के पंचाक्षरी मंत्र अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करें।

About The Author

पं.सत्यम शर्मा

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks